मृत्यु जब आती है ।death is a happy feeling article hindi अपने साथ भय लाती है । जीवन की समाप्ति की । इंसान महसूसने लगता है । खुद को । बेबस,, लाचार । प्रार्थनाएं करने लगते हैं । ईश्वर से । जो कभी याद भी नहीं किए थे । अपनी जिंदगी में । जब तक इंद्रिय मजबूत होते हैं । हर पीड़ा को महसूस करते हैं । अपने पराएं की परख उसे और भी रूलाते हैं । उसका जीवन का मायने उसकी जीवित रहने की जरूरत को याद दिलाती है । बुद्धि और विवेक बचने की उम्मीद में कोशिश करते हैं ।
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लेकिन इंद्रियां जब शिथिल होकर टूटने लगते हैं । ऊतको का क्षरण होने लगते हैं और उसके स्पर्श क्षमता कम होने लगती है । महसूसने की क्षमता कम होने लगती है ।उस समय सारी कोशिश खत्म हो जाती है ।
जैसे आँखों के देखने की क्षमता कम हो जाती । कानों की सुनने की क्षमता कम हो जाती है ।उस समय न किसी बात का बुरा लगता है ।न कोई अच्छा । जो अपने पराएं थे मन से निकल जाते हैं । शरीर में हलचल कम हो जाती है ।
मृत्यु से पहले
मृत्यु पाने वाले व्यक्ति के लिए हम पहले ही मर जाते हैं ।हमारा अच्छा बुरा बर्ताव उसके लिए कोई मायने नही रखते हैं । क्योंकि उसके अंतःस्थल तक हमारी आवाजें पहुंच नहीं पाती है । जो हमारी क्रिया का प्रतिक्रिया दें सके । सिर्फ एकटक निहारते हैं । न जाने किस ओर ।शायद ! इसी कारण से वह हमारी बातों से किसी प्रकार की क्रिया नहीं करते हैं ।
वह स्थिर होने लगते हैं । स्वयं में । इद्रियॉं हमारी आत्मा को छोड़ने लगते हैं । तालमेल में कमी आ जाती है । जिसे बाह्य लोग अचरज भरे निगाहों से देखते हैं । हो सकता है । बाह्य लोगों को लगे कि अमुक आदमी को बहुत दर्द हो रहा है लेकिन नहीं । जैसे छिपकली के पूंछ कटने से हलचल होती है । जो कोशिकाओं के फैलाव व सिकुड़न की वजह से होता है । उसमें जान नहीं होती है । ठीक वैसे ही । मनुष्य का शरीर आत्मा के ऊर्ध्व गमन होने से होती है । मनुष्य धीर-धीरे अपने मूल स्वरूप में ठहरने लगते हैं । जहॉं न इंद्रिय न मन पहुंच पाते हैं । अतः उसे पीड़ा की अनुभूति नहीं होती है । इसलिए हम कह सकते हैं कि मृत्यु एक सुखद अवस्था है । जिसकी प्राप्ति सबको होनी है ।
खुद के भीतर मौजूद चेतन तत्व के साथ हमारी ऊर्जा समाहित हो जाते हैं । जिसके निकलते ही हमारा शरीर मिट्टी का लोथड़ा बन के रह जाता है ।
मृत्यु निश्चित था
जैसे गीता में
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है
ठीक वैसे ही
अंतिम सांसें बची थी
जिसके छुटने के इंतजार में
सारी दुनिया
बैठी थी
मरने वाले नहीं जानते थे
कब अंतिम सांसें है
उसकी
सिवाय उसके सारी दुनिया जानती थी
मेहमान है
चंद घंटे का !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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2 टिप्पणियाँ
बिल्कुल सत्य👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका 🙏
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