prem kavita तुम्हारा प्रेम कविता

प्रेम में पड़ा हुआ आदमी ।prem-kavita-hindi चिंतन हमेशा अपने प्रेमी का करता है । उसकी यादों में खुशी ढूंढती और मिलती है । जिसको सहेजने के लिए एकांत की तलाश करना चाहता है । उसकी यादों की कड़ी में कोई खलल न पड़े इसलिए मौन का धारण करता है । किसी अन्य की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं । पढ़िए कविता प्रेम की 👇👇

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तुम्हारा प्रेम कविता

मेरे मौन के पीछे
तुम हो
मैंने कहा नहीं किसी को
इसकी वजह तुम हो
शब्द मेरे अंतर्मन में था
जिसे समझ नहीं पाया था
लेकिन अहसास होता है
तुम समझ रहे हो
जैसे मैं समझ रहा हूं
मेरे प्यार को
जैसे मैं 
वैसे तुम !!!

प्रेम कविता 

दुनिया जब
मेरी बुराई करती है
और तुम
चुप हो जाते हो
उस समय तुम
मेरे प्रेम में हो जाते हो
खुले मन से न सही
मगर
मेरे समर्थन में हो जाते हो
मैं समझता हूं
ये भी प्रेम करने का तरीका है !!!

विश्वास था
इसलिए तेरे मौन की
भाषा पढ़ लिया
तुम्हें विश्वास नहीं
इसलिए मेरे शब्दों में
कई सवाल ढूंढ़ा तुने !!!!


मैं लौट आऊंगा
तेरे पास 
भटककर
जैसे सूरज निकल आता है
रात के बाद
चांदनी बिखर जाती है
दिन के बाद
पेड़ों पर रंगत बढ़ जाती है
बरसात के बाद
वैसे ही
मैं आ जाऊंगा
तेरे पास
सारे जग से
भटक जाने के बाद
क्योंकि मुझे मिल जाता है
सुकून
तेरे पास
आने के बाद !!!

प्रेम कविता हिन्दी 

तुम चले आना
जब भी तुम्हें लगे
दुनिया में अपनों की कमी है
तो 
मेरे पास !!

जहां प्रेम को 
समझाना पड़ जाए
वहां प्रेम संशय में है
वर्ना स्वीकार होने के बाद
केवल विश्वास होता है !!

इस दुनिया में
प्रेम के लिए जगह नहीं है
सिवाय तेरे मेरे रिश्ते के !!

Love poem 

तुम सुन सकते हो 
मेरे दिल की
मैं सुन सकता हूं
तेरी हर आहट
क्योंकि हमारी दुनिया
प्रेम की है !!!

इस दुनिया में
तलाशों मत प्यार
मिलते नहीं यार
प्यार किसी के दिलों में !!!

प्रेम में जटिलताएं इसलिए है
लोगों ने वादा किया
इतना ज्यादा किया
प्रेम असम्भव सा लगता है  !!

ऐसा नहीं
तुम मुझे मिले
तब प्रेम का अहसास हुआ

तुम्हारे स्वागत में
बरसों से
ख्वाब बना रहा था
सिर्फ तुझे देखकर लगा मुझे
मेरे ख्वाबों में
आने वाले तुम हो
इसलिए ठहरा
मेरा प्रेम तुम हो !!!

उदास थे हम दोनो
नाराज़ भी थे हम दोनों
फिर भी जुड़े
एक दूसरे से
उदासी भरे बातें
परस्पर एक-दूसरे की
सुना दिल से
फिर भी न टूटी उदासी
हमारा प्यार उदासी से
बंधे हुए थे !!!

तुम दूर थे
बहुत दूर
मुझे अच्छे लग रहे थे
तुम
इसलिए प्रतीक्षा की
कल्पना की
तुझे पाने की
लेकिन
जैसे-जैसे पास आए
मुझे कुछ और लगने लगे
तुम !!!!

                          आज की अच्छी बातें 
                              आजकल के रिश्ते 
                                          
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