Prem Samrpan or Tum Kavita Hindi प्रेम , समर्पण और तुम

Prem Samrpan or Tum  Kavita Hindi- प्रेम किसी के कहने, जताने से नहीं होता है और न ही प्रेम सोची, समझी रणनीति है । जिसपर कार्य किया जाय । यह तो हृदय का अपनापन है । जिस पर आता है । वहीं भा जाता है । हृदय, आत्मा और मन स्वत: समर्पण हो जाता है । जिसे भूलाया नहीं जा सकता है । 

Prem Samrpan or Tum  Kavita Hindi 

प्रेम,  समर्पण और तुम 

समर्पण जिस पर होता है

उसी से प्यार होता है
सुने कुछ भी, करें कुछ भी
मगर ध्यान जिसका होता है
उसी से प्यार होता है
छोड़ें न तार कभी
प्रेम की धार कभी
टूट जाएं तो फिर जोड़े
मगर भूले न यार कभी
एक झलक से सुकून होता है
उसी से प्यार होता है 
बचा कर शेष दुनिया की बातें
नजरों से जो छुप कर करें मुलाकातें
कशक , पीड़ा अपनी कहें जिससे
जिसके सिवा न कोई सुहाते
जिसकी बाहों में सुरक्षित घेरा होता है
उसी से प्यार होता है 

प्रेम और तुम 


 घीरे - घीरे बादल बरसे
प्रेम सुधा जैसे बरसे
तप्त धरा का मन हर्षे
तृप्त हुआ ऊर की पीड़ा
जल बिन मछली अब न तरसे

बीज पड़ा था जो सूखा सूखा
भीषण गर्मी से रूखा रूखा
फूट पड़ा वो बादल की बूंदों से
खोल जिसके है टूटा टूटा
उसकी हर बूंद से आराम मिलता है
बादल तेरी कृपा से प्यार मिलता है 

भाव और प्रदर्शन 


भाव में हो तो प्रदर्शन मर जाता है
प्रदर्शन में हो तो भाव मर जाता है
जाने तुम किसे तवज्जो देते हो
दिखावटीपन में प्रेम मर जाता है  !!

समझने समझाने का वक्त नहीं है
लोग दौड़ रहे हैं
मैं भी शामिल हूं
उसी में
चलो ! इसी पल को चुराते हैं
जितना मिल जाए
प्यार करते हैं !!!

यदि तुने वक्त दिया होता
मुझे प्यार किया होता
समय मिल जाता बहुत
लेकिन तुने जिसे वक्त दिया
उसे ही प्यार दिया
भरपूर !!!
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Prem Samrpan or Tum  Kavita Hindi


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