story in a moment छोटी बेटी की शादी की बिदाई हो जाने के बाद गोपाल बाबू कुछ तसल्ली महसूस कर रहे थे।घर के खर्चों को अंदाजा लगा रहे थे कि सब कुछ सही से निपट गए ।घर में कमाने वाले वो दोनों पति-पत्नी ही थे। अपने दोनों लड़कियों का शादी करके उसे आज अच्छा महसूस हो रहा था।घर में कुछ नजदीकी रिश्तेदार ही बचें थे। फिर भी घर में सोने के लिए जगह कम पड़ रहा था। घर में बिजली नहीं थी।
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छोटी बेटी की शादी की बिदाई हो जाने के बाद गोपाल बाबू कुछ तसल्ली महसूस कर रहे थे
बिजली लगवा भी लेते लेकिन पुरे गांव में खंभे नहीं पहुंच पाए थे।आधी बस्ती को अंधेरे में ही रहना पड़ता था। तीन कमरों का मकान था।ऊपर से मिट्टी का ,जिस पर जगह-जगह चुहों ने बिल बना लिए थे।सभी कमरों में मेहमान जमीन पर सोये थे। जैसे शादी के समय किये थे।बड़ी बेटी रुपा की शादी चार साल पहले हुई थी। जिसके तीन महीने का लड़का था। कमरें में सभी मेहमानों के साथ ज़मीन पर एक कोने में सो गई थी। जिस कमरे में गोपाल बाबू के बड़ी बेटी सोई थी। वहाॅ॑ धान के बोरे रखें हुए थे। सोने के लिए जगह सही नहीं थी लेकिन करें तो क्या करें।बाहर खुले आसमान में तो किसी को सूला नहीं सकते हैं।
रात अभी आधी ही गुजरी होगी। अचानक रुपा को लगी कि उसका बेटा रो रहा है।शायद भूख लगी होगी।अधपके नींद में अपने बच्चे को करवट बदलते हुए उठाते समय ऐसा लगा कि बहुत वजन हो गया है।बच्चा लगातार रोएं जा रहा था। क्या हुआ इसे अंधेरे में उसने कैन्डिल जला दिया। कुछ रौशनी के फैलते ही वह चौंक गयी। सांप मुन्ने के नाज़ुक हाथ को निगल रहा था।चीख पड़ी।चीख -पुकार सुन के वहाॅ॑ सोएं सभी लोग जाग गए । कुछ तुंरत समझ गए कुछ अधपके नींद की वजह से समझ नहीं पा रहे थे।बस इधर -उधर कर रहे थे। इधर रुपा के बार - बार हाथों को झटकने की वजह से सांप कही गिर गया और दिखाई नहीं दिया।
रुपा वहीं बेबस लाचार हो कर रोने लगी। मुश्किल से उसे आंगन में लाई गई। सांप को ढूंढने की बहुत कोशिश की मगर ढूंढ नहीं पाएं।बच्चा की आवाज कुछ देर बाद बंद हो गई। रुपा और उसके मां-बाप फुट फुटकर रोने लगे ।ये क्या हो गया..।क्या हो गया..! किसी को यकीन नहीं हो रहा था।
शादी के घर मातम में बदल गया।सारे मेहमान चुप करा रहे थे। लेकिन अचानक आए इस दुःख ने सबको तोड़ के रख दिया था।
रुपा का गला रोते रोते-रोते बैंठ जाता था। गले से आवाज़ नहीं निकल पा रही थी। मुंह मजबूती से बंद हो जाता था आंखें पलट जाती, जिसे देखकर मां डर गई। अंधेरा था फिर भी पानी के लिए दौड़ते हुए गई। जल्दी-जल्दी आ रही थी कि अचानक लगा कि पैरों में चिकनी सी कोई चीज दब गई है। और कुछ काट लिया है।रूक गई। जैसे उसका दुःख भय में बदल गया हो। क्या था..! रौशनी दिखाओं..! यहाॅ॑ कुछ है..! आवाज़ में भय था।घबराहट थी। जिसे सुनकर तुंरत वहाॅ॑ रौशनी दिखाया गया।
रौशनी में साफ -साफ दिखाई दे रहा था कि सांप दिवाल के किनारे रेंग रहा था।पैर से दबने के वजह से रूपा की माॅ॑ को काट लिया था।
घर में दोहरी दुःख..।सब सकते में हो गए। रूपा की माॅ॑ को अजीब-सी महसूस होने लगी। देखते ही देखते उसकी तबीयत में बदलाव आने लगी।
गांव पिछड़ा था। अस्पताल दूर शहर में है जो गांव से बीस किलोमीटर दूर है।गांव में किसी-किसी के पास ही गाड़ी के साधन है। जिसके पास था साधन उसको जगाने और आने में एक घंटा हो गया।जब गाड़ी ले के आया तो माॅ॑ के चेहरे का रंग बदलने लगा। आवाजें तोतली होने लगी। मुंह से झाग निकलना शुरू हो गया था।
यह सब देख के रूपा अचानक जमीन पर गिर गई। गोपाल बाबू कुछ समझ नहीं पा रहा था।किस- किस को सम्भालें।घर के मेहमानों और गांव वालों की मदद से अस्पताल तक लाएं।
रूपा को जब होश आई तो वह अस्पताल में थी। चारों तरफ भय पसरा हुआ था। उसके पति और छोटी बहन आ गई थी।बेड पर बैठी थी। रूपा के होश आते ही फफक कर रोने लगी। पिता जी दूर खड़े थे।मारे हताशा के सिर झुकाए..!। रूपा को समझने में देर नहीं लगी कि मां और मुन्ना..! आंखों से आंसू की धार बहने लगी..! गोपाल बाबू भी फफक कर रोने लगा।
टीप-गरीबी कई रंग दिखाती है।
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3 टिप्पणियाँ
दुखत घटना
जवाब देंहटाएंAti sundar
जवाब देंहटाएंNice
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