My Pain Poem in Hindi
मेरे दर्द को यदि तुमने छूवा होता
कुछ पल का आराम मिला होता
इश्क की आग में जलते कभी
तेरे सीने में भी ये धूंआ उठा होता
पत्थर के समझते रहे मेरे दिल को
मोम हूॅ॑ पिघला के मुझे देखा होता
आसान है छांव में हिसाब-किताब बताना
कुछ पल धूप में भी गुज़ारा होता
खुश था बहुत तुम्हें पा लेने के बाद
यदि इश्क में धोखा खाया न होता
इस क़दर खोया रहा उसकी यादों में
दिल टूट गया तो मुझे भी जगाया होता
मरने के बाद पछतातें हैं लोग यहाॅ॑
जीते जी कोई सीने से लगाया होता
अजीब दस्तूर है 'राज' इस जमाने के
बिछड़े तो हॅ॑स दिए कभी मिलाया भी होता !!!!
My Pain Poem in Hindi
मेरे दर्द को यदि छूवा होता
कुछ तो कम हुआ होता
जिसे तुम समझदारी मानते हो
असल में चालाकी है
बच कर यूं ना निकला होता
आइना अभी बता रहा है
तेरे चेहरे का भाव
मैंने भी पढ़ा वर्ना
यूं न दर्द हुआ होता !!!!
___राजकपूर राजपूत'राज'
बेमेतरा, छत्तीसगढ़
1 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर
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