Ghazal Selective
सब यहॉं सेलेक्टिव हैं
स्वार्थ में सब एक्टिव हैं
मेल खाए मतलब तो अच्छा
वर्ना करोना-सा नेगेटिव है
सब नफ़रत पाले बैठे हैं
सिर्फ प्यार में एनएक्टिव हैं
जब बात हो व्यापार की
तो बातों से सब अट्रैक्टिव हैं
मांगने से नहीं मिलती है साथ कभी
मतलब निकालने में सुपरएक्टिव हैं !!!
Ghazal Selective
सब सेलेक्टिव हैं
कुछ मिलता है
इसलिए एक्टिव हैं
गिरे हुए को सर पे उठाए हैं
मजाल है उसपे सवाल उठाए हैं
इज्जत उसी की है आजकल
गलत करके सर उठाए हैं
सफलता मिलती है गिरकर
लोगों ने मुझे बताया है, जताया है !!!!
सब सेलेक्टिव हैं
अपनी धुन में एक्टिव हैं
वो मानने लगा खुद को
तथाकथित बुद्धिजीवी बताने लगा मुझको
उसके पास तर्क है
पढ़ाई-लिखाई की वजह से
खुद को बताया बड़ा
छोटा मुझको
पढ़ें थे बराबर
लेकिन बोलना नहीं आया
वो कह देते हैं आसानी से
किसी की परवाह नजर नहीं आया
स्मार्ट कहूं तो बेहतर है
दिखावा आजकल का नेचर है
उसके विश्वास में विनम्रता नहीं
बड़ी-बड़ी विद्वत्ता सही
मुर्ख हो गए हैं पढ़-लिखकर
ज़िद कर बैठा खुद को मानकर
तर्क करना उसको अच्छा लगता है
खुद का चरित्र बेहतर नहीं लेकिन अच्छा लगता है !!!!
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