दुनिया रंगीन हैं । यहां तरह तरह के लोग मिलते हैं । कोई सच बोलते हैं तो कोई झूठ ।ye rishte hain jhoot ke- कोई अनजान से तो कोई जानबूझकर । बस दृष्टिकोण में अंतर है । अनजान व्यक्ति नादान हो सकता है लेकिन जानबूझकर किया गया काम महान धूर्तता है । भले ही झूठ अनैतिक कार्य है मगर लोग इसे बड़े ही बुद्धिमत्ता से करते हैं । गर्व के साथ । सामने वाले को बिना अहसास कराएं । जिसका अधिक उपयोग की वजह से पकड़ जाते हैं । फिर भी करते हैं । झूठ से स्थापित संबंधों को भी मधुरता भर लेते हैं । प्रस्तुत है इस पर कविता हिन्दी में 👇👇
ye rishte hain jhoot ke
याद रखना
मेहमान हो तुम
इस धरा का
इंसान हो तुम
आखिर मिल जाना है
इस बात से अनजान हो तुम
इसलिए अभिमान में हो तुम !!!!
जब मतलब निकालने के लिए
निकल पड़ता है इंसान
तब अच्छा लगने लगता है
उसके हावभाव
जैसे मौके की ताक पर
बैठा शेर चीता
इंतजार में रहता है
हिरण का
झाड़ियों के बीच में
झपट्टा मारने के लिए
ठीक वैसे ही इंसान
बैठा रहता है
ताक में
मतलब निकालने के लिए
तब सुंदर लगता है
उसके हावभाव
उसकी बातें !!!!
रिश्तों पर कविता
तुम उन विचारों को
कभी आने मत देना
जो तुम्हें तोड़कर
अपने विचारों में स्थापित करते हैं !!!!
रिश्तों में झूठ को
लोग उतने ही शामिल करते हैं
जितनी नजदीकियां है
जितने दूर
उतने झूठ
जितने पास
उतने सच !!!
दूर के रिश्तों को
झूठ के सहारे संभाला जाता है
ताकि रिश्तों को तकलीफ़ न हो
और व्यवहार बना रहे
निश्चितता महसूस हो !!!
झूठ उन रिश्तों के लिए
बेहद जरूरी है
जिससे मतलब है
निस्वार्थ रिश्तों में मनाही है !!!!
सहजता से झूठ बोलना
रिश्तों की अपवित्रता दिखाती है
और ऐसे लोगों को
बहस में कोई हरा नहीं सकता है
क्योंकि वो झूठ बोलने में माहिर हैं !!!!
रिश्ते झूठ के
जब मुलाकात होगी
तब बातें ढेरों होगी
हृदय पुष्प बिछाकर सुनते हुए
हां , कभी कभी ऊंघते हुए
मगर रखेंगे वहीं बातें
जो उसके शर्तों को पूर्ति करती हो
रोज़ रोज़ की बातों से
आखिर लगने लगेगा
हम सभी अभ्यस्त हैं
बातों में
सभ्य हैं !!!
सच आएंगे
कितनो को भाएंगे
क्या नेता ही भ्रष्ट है
उनके चमचे भी तो आएंगे
जनता भी सच में सहुलियत मांगता है
बहलाएंगे, सहलाएंगे और मान जाएंगे !!!
दो व्यक्तियों की लड़ाई में
सूनी नहीं जाती है
प्रेम की भाषा
व्यक्ति नफ़रत पे सवार होकर
बहस करते हैं
तब तक प्रेम
अपमानित होकर
किसी कोने पे चला जाता है
नफ़रत के दिल से निकलने तक !!!
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