मन की शांति के लिए जरूरी है कि आप स्वयं में संतुष्ट हो । peace of mind quotes पूर्णता का अहसास हो । इसके लिए जरूरी है कि आप अपने ज्ञान से स्नातक हो । कुछ लोग अपने अनुमान को ज्ञान मान बैठते हैं । जो अक्सर कोरी कल्पना होती है । जो किसी घटना, तर्क आदि के ऊल-जुलूल मिलान में उलझे रहते हैं । जो ज्यादातर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने का हिस्सा होता है । स्वयं के विचार, जिसमें उनकी सहुलियत छुपी हुई होती है । जबकि ज्ञान अनुभव है । जिसे स्पर्श कर जाती है, उनकी अनुभूति , स्मृति। प्रस्तुत है इस पर कविता हिन्दी में 👇
peace of mind quotes
(१)
मन की शांति
तुम्हारे सवालों का जवाब
और उसकी प्राप्ति
जब शेष न रह जाए
कोई सवाल
वहीं से शांति की शुरुआत है !!!
(२)
यशोधरा अलग हो गई
और बुद्ध अलग हो गया
पीड़ा में यशोधरा थी
और बुद्ध बुरा हो गया
व्यक्तिवादी लोगों ने परिभाषाएं गढ़ी
अपने व्यक्तिगत जीवन शैली से
जिसने कभी त्याग किया नहीं है
सामाजिक दायित्व निभाया नहीं है
वहीं आज यशोधरा को बड़ी
और बुद्ध की दृष्टि को छोटा कर दिया
सवाल जवाब को सुनने वाले ने कहा
बहुत बड़ा विद्वान है
जबकि उसने अपनी दूषित मानसिकता
परोस था
और हमारी नज़रों में
बुद्ध गलत लग रहा था
क्योंकि हम परिवर्तित हो रहे थे
व्यक्तिवादी की तरह !!!!
(३)
प्रेम का जीवन
प्रेम से भरा हुआ आदमी
बहस नहीं कर सकता है
किसी कम्युनिस्ट की तरह
वो हर बात पे सवाल नहीं उठा सकता है
क्योंकि वो जानता है
प्रेम से भरा हुआ आदमी
हार सकता है
हरा नहीं सकता है
वो हार जाने के बाद ही
जीत महसूस करता है
प्रेम से भरा हुआ आदमी
बेवजह तर्क नहीं कर सकता है !!!
(४)
मन की शांति
मन की अशांति
उसे अब महसूस नहीं होता है
वो उलझा रहता है
दूसरों की आलोचना करने में
सिर्फ उसे महसूस होता है
शिक्षित होने का
किसी वैज्ञानिक की तरह
महसूस करता है
सिर्फ बेवजह सवाल करके
अनुमान लगाते हैं
ऊल-जुलूल
तर्कों में !!!!
(५)
आज जमाना
आज के जमाने में
जहां हर बात पे मतलब होता है
मेरा यकीन मानिए
यूं किसी के बातों पे भरोसा करने से पहले
किसी का मतलब समझ लेना चाहिए !!!!
(६)
कोई विद्वान हो सकता है
लेकिन उसका भी इरादा हो सकता है
तथाकथित बुद्धिजीवियों ने अपनी मानसिकता को परोसा है
जिसमें ज्ञान की अपेक्षा
इरादे को स्थापित करने का उद्देश्य हो सकता है
भले ही तुम विद्वान कहो
लेकिन तुम्हारी अंतरात्मा महसूस करेंगे
उसकी बातों की सच्चाई
जिससे तुममें अशांति आ सकती है
क्योंकि तुम अब तक
शांति से जी रहे थे !!!
(७)
कुछ कवि एक स्त्री के प्रति
सहानुभूति पूर्वक रचना गढ़ा हैं
ताकि लोग एक स्त्री को समझ सकें
इतिहासिक पात्रों को
अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण से देखा
ताकि लोगों को समझाया जा सकें
उच्छृंखलता , आजादी का मायने
इसलिए उन्होंने ने इतिहासिक आदर्शों को
निरंतर आघात किया
यशोधरा को पीड़ित बताया
बुद्ध द्वारा
जो चुपचाप छोड़ चले
वन प्रस्थान कर गए
बुद्ध का विशाल हृदय
जिसका महत्व
नगण्य कर दिया
अपने व्यक्तिगत शर्तों से !!!
(८)
तुम एक विचार को मानते हो
इतने मानते हो
उसे दिन रात
स्थापित करने का प्रयास करते हो
एक वर्ग को मानते हो
उसके सुख दुःख जानते हो
इसलिए दूसरे वर्ग को भूल जाते हो
तुम्हारे अहसासों में शामिल नहीं हो पाता है
उनकी तकलीफ़, पीड़ा
कितनी संकुचित मानसिकता है
तुम्हारी
और खुद को तुम
बुद्धिजीवी कहते हो !!!!!
(९)
तुम्हें हम पसंद नहीं हैं
तो तुम छोड़ सकते हो साथ
साथ रहकर
हमारी गलतियों को बताओं मत
इस तरह थकाओ मत
यही तुम्हारा दोगलापन है !!!
(१०)
बुद्ध कब से तुम्हारा था
वो तो विष्णु का अवतार थे
जिसे सारी दुनिया से प्यार था
मैं समझ सकता हूं
तुम्हारे पास कुछ नहीं है
न आज है न कल था
इसलिए बुद्ध को अपना कहना
तुम्हारा छलावा है !!!
(११)
तुने शिक्षा पर जोर दिया
मगर संस्कार को छोड़ दिया
तुम्हारे रिश्ते क्षणिक है
आज है कल तोड़ दिया !!!
(१२)
शांति का अहसास
किसी बहस में नहीं है
न ही किसी तर्क में है
जिसे समझाया या बताया जाय
ज्यादातर तर्क और बहस खुद को
साबित करने के तरीके हैं
जबकि
शांति एक स्थिर अवस्था है
जिस पर टिका रहना पड़ता है
दुनिया के प्रपंच से अलग
स्वयं को समझा कर
यही जीवन दर्शन है !!
जो ज़्यादा रोजी-रोटी का मांग करेगा
मुफ्तखोर और कम्युनिस्ट कहलाएगा
जीवन बेहतर की भी बात कर ले
गरीबी के नाम पर सिर्फ धंधा चलाएगा !!
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