समझदार और नजरिया Samajhdar aur Najariya article hindi

जो समझ जाए, वहीं समझदार है और जो समझ जाते हैं , किसी की प्रकृति, कारण , स्वभाव , उद्देश्य आदि को जिसके बाद अपने क्रियाओं में उचित उपयोग कर लेते हैं । श्रेष्ठ समझदार के लक्षण है ।Samajhdar aur Najariya article hindi  अच्छी समझ सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में ज्ञान रखता है ।
जैसे प्रेम का भी और नफ़रत का भी । 
जो कुछ चिंतन के बाद स्पष्ट पहचान कर लेते हैं । 
जिसके अनुमान सटीकता के साथ क्रियाओं का संपादन करते हैं । जिसमें अनुभव शामिल रहता है ।  
समझ महीन प्रक्रिया है  ।

Samajhdar aur Najariya article hindi 

एक ज्ञान की उत्पत्ति जरूरत और चाहत पर निर्भर करता है । जिस और चाहत होगी । उसे पाने की कोशिश होगी तथा जहां जरूरत का अहसास है । वहां व्यक्ति स्वयं चला जाता है । उसकी कल्पना में सोच लगी रहती है । उसे अपनी समझ अनुसार उकेरने का प्रयास होता है । जितनी बुद्धि खपाई  है उतना ज्ञान होता है । उतनी ही सोच का निर्माण होता है । 

ज्ञान और समझ 

ज्ञान और समझ दोनों अलग चीजें हैं । ज्ञान का अर्थ जानना है तो समझ एक व्यापक दृष्टिकोण से है । जो ज्ञान के साथ मिलकर बना है ।समझ में ज्ञान समाहित हो कर किसी कार्य को सरलता से करने के प्रेरित करती है ।  जिसमें अहसास है, अनुभूति है । 
ज्ञान बताया गया पद्धति है । जिसे कहीं से लिया गया है । जबकि समझ उसी ज्ञान का फैलाव है । जिसे समझ के साथ विकसित किया जाता है । जिसकी समझ अनुभव और अनुमान को सटीक बैठा लेती है । वह जीवन को सरलता से जीता है । जो ऐसा नहीं कर पाता वे भय, डर, घबराहट में । 
जिसकी समझ व्यक्तिगत लाभ तक सीमित है । चालाकी प्रवृत्ति के होते हैं । उसकी समझ सीमित होती है । वह कभी भी किसी से खुलकर नहीं मिलते हैं । एक माइंड सेट करके बातें करते हैं । अपने निज स्वार्थ कभी भी नहीं भूलते हैं । बातें सभी तरह के कर सकते हैं । बड़ी -  बड़ी बातों से लेकर अपनापन और प्यार तक । सब कुछ समझ रखते हैं । मगर चाहत स्वयं का हित है ।  जिससे उसे कभी ठगे जाने का भय नहीं रहता है । अपनी होशियारी और चालाकी पर पूरा भरोसा होता है । जबकि सामाजिक सोच के लोग ठगे जाते हैं । और इसी समूह द्वारा । 

समझ और लोग 

जिसकी समझ किसी वस्तु, चीज़ या फिर व्यक्ति पर समाज के कहने पर स्थापित हो । वो न तो किसी पर कभी पूरी समर्पण दे सकता है ।न ले सकता है  । जब दुनिया कहेगी तो साथ और विचार छोड़ देंगे । ऐसे लोग मुर्ख होते हैं । उलझन में पड़े रहते हैं । ज्यादातर अनुमान से फैसले लेते हैं । जिसमें अनुभव की कमी रहती है । इनकी चाहत सीमित होती है । उन्हीं सीमित चाहतों में उलझा रहता है । विचार और दृष्टिकोण का दायरा इनकी चाहतों पर निर्भर करता है । सबको समझें या स्वीकारें जरूरी नहीं है । 
ऐसे लोग अपनी चाहत अनुसार तर्क, बहस, अनुमान लगाते हैं । बाकी समझदार को इशारा काफी है ।
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