न्याय और समानता -
इस धरती पर जो भी जीवित प्राणि है ।justice-and-equality-article-in-hindi- सबके लिए खाना पीना, सोना, प्रजनन आदि गुण समान रूप से अधिकार स्वरूप है ।हर हर जीवों के जद्दोजहद में इसे पाने की होती है । जिसे उपयोग करने का हक सबको है । मनुष्य सभी जीवो में श्रेष्ठ है ।इस अधिकार को सुरक्षित करने के लिए उपयुक्त है ।सबको न्याय और समानता दिलाने के लिए सक्षम है । जो सभी जीवों में खुद के अहसासों को दूसरों में देख पाते हैं । वहीं न्याय और समानता दें पाते हैं , सबको ।
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क्योंकि उसके पास बुद्धि है । जो उचित/अनुुुचित का निर्णय कर सकते हैं । जो जानवरों से भिन्न बनाता है ।
परंतु दुर्भाग्यवश अपनी ही बुद्धि में उलझ जाते हैं ।रंग रूप, गुण दोष, विचार, शारीरिक बनावट आदि से अंतर कर जाते हैं ।
आजकल के बुद्धिजीवी तो अपने विचारों को थोपते हैं । आलोचना नफरतों से करते हैं । जिसमें सुधार की भावना दिखाई नहीं देती है । थकावट और नफरतों से की जाती है । ऐसे व्यक्ति निष्ठुर प्रवृत्ति के होते हैं । जिसमें दया और करूणा का सर्वथा अभाव होता है । अपनी बातों को मनवाने के लिए कुछ भी तर्क दे सकते हैं । जो उसको सही सिद्ध करने के लिए जरूरी है । ऐसे लोगों में उदारता का अभाव होता है । सहिष्णुता से तो दूर का वास्ता नहीं है । अपने विरोधीयों को सह नहीं पाते हैं । उसकी सच्चाई देख नहीं पाते हैं । केवल अपनी बातों को ही अहमियत देते हैं ।
न्याय और कानून
न्याय और कनून की बातें एक आड़ है । अपनी गलतियों पे पर्दा डालने के लिए । ऐसे आदमी से न्याय और समानता बेइमानी है । सुविधानुसार तर्क देते हैं । मतलबी लोग हैं ।
एक सुन्दर लड़की और एक काली लड़की को देखकर जो भाव आ जाते हैं । उसी से न्याय और समानता समझ जाते हैं । खुद को यह विश्वास दिलाना बहुत कठिन कार्य है कि सबमें वहीं गुणों का भरमार है ।बस सामने वाला दूसरा है । उसका मन, बुद्धि में अंतर है।
जो किसी के भीतर घृणा और प्रेम में निष्पक्षता ला दें । वहीं पर न्याय और समानता सही मायने में है । वर्ना काली और गौरी में नफ़रत और प्यार स्पष्ट दिखाई देते हैं । सब बराबर है,, कहना बहुत आसान है । मगर स्वीकार करना बहुत कठिन है ।
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