आप उसे कुछ नहीं कह सकते जो जानते हुए भी गलती करते हैं ।-arrangement-in-which-all-are-tied-article-in-hindi क्योंकि उसने जो भी किया उसकी मजबूरी नहीं है । यदि मजबूरी है तो अकाध बार होगा । पुनरावृत्ति नहीं होगी ।
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कुछ मतलब है । कुछ स्वार्थ है । जिसमें वो चालाक है । जिसे नैतिकता से बड़ा माना है । ख़तरा मोल ले के जिसे प्राप्त करने की कोशिश होती है ।
उदाहरण - एक रिश्वतखोर यह जानता है कि उसके कर्तव्य के बदले पैसा मांगना गलत है लेकिन फिर भी लेते हैं , रिश्वत ।
नैतिक मूल्यों की समझ सबकी है। शायद इसीलिए अनैतिक कार्यों को बड़ी सावधानी से करते हैं । सीधे- सामने से या खुले रूप में न करके इसे व्यवहार में करते हैं । चाय पानी या खर्चा पानी के रूप में । जिससे किसी को बुरा न लगे ।
इससे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि लोग भी साथ देते हैं । शायद ! मानते हैं कि यह जरूरी है आजकल के व्यवहार है । जमाने में । तभी तो चलन में है । वर्ना शिकायत होती, विरोध होता । लेकिन नहीं ।
ऐसे ही सभ्य और समझदार लोगों द्वारा संचालित है । जिसमें मासुम लोग पीस जाते हैं ।
उदासीनता
मान लो इस अनैतिक कार्यों को न करने या कर्तव्य याद दिलाने की कोशिश करते हैं तो वे उदासीन हो जाएंगे या फिर शामिल होकर नैतिकता की दुहाई देंगे । जैसे उसे भी खेद है । इसलिए शिकायत है । ऐसे अनैतिक कार्यों के चलन में ।उसे भी पूरी दुनिया से घृणा है । ऐसी ही बातों को सुनकर समझाने वाला भी उनके मुंह पर कहने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं । क्योंकि कहते हैं न कि बद से बदनाम बुरा । उसके अनैतिक कार्यों को जानते हैं लेकिन पकड़े नहीं गए हैं । जिसे सिद्ध कर सकते ।
एक पूरी व्यवस्था इस तरह से अनैतिक कार्यों को संचालित करते हैं कि सिद्ध करना जटिल हो जाता है । जिसने सिद्ध करने की कोशिश की,,उसका ही समय और पैसों की बर्बादी हो जाती है । इसलिए बचकर निकल जाते हैं ।
एक पूरी व्यवस्था जिसमें सभी बंधे हुए हैं । एक दूसरे के समर्थन से । जिसे पीड़ित व्यक्ति तोड़ या लड़ नहीं सकते हैं ।
व्यवस्था
जिस पर सभी बंधे हुए हैं
लेकिन कुछ लोग
अपने दोगलापन से
मज़ाक उड़ाते हैं
जब वो कहते हैं
व्यवस्था हमारी है
तो समझ जाना
दोगलापन में माहिर हैं !!!!
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