Shabari-ke-ram-poetry-in-hindi- " राम " की प्रतीक्षा में शबरी की आंखें पथरा गई है । लेकिन आस नहीं छोड़ी । उसका विश्वास था कि राम एक दिन जरूर आएंगे । उनकी प्यास मिटाएंगे । इसी प्रतिक्षा का फल है कि " राम "उसके पास स्वयं चलकर आए । शबरी की पीड़ा का वर्णन करते हुए एक कविता हिन्दी में 👇👇
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राम तुम आओगे
शबरी की कुटिया में
प्रेम से बेर खाओगे
राम तुम आओगे
आंखें पथराई है
राह निहारते - निहारते
हृदय दुःख रहा है
तेरा नाम पुकारते- पुकारते
मेरी पुकार सुन पाओगे
राम तुम आओगे
अधीर मन व्याकुल है
तुझसे मिलने को आतुर है
मैं जानता हूं तेरी दया राम
मुझे अब न तरसाओगे
राम तुम आओगे
अहिल्या जो शीला बनी है
शापित है इसलिए बनी है
तेरी दया कृपा की आस में
तेरे कर कमलों की प्यास में
कभी आकर उद्धार कर दोगे
राम तुम आओगे
दिशा नहीं मिल रहा है समाज को
भटक रहा है मुक्ति के लिए अब तो
सहारा दें दो राम अपने आदर्श से
तेरा ही सहारा देश और समाज को
तुम ही बचाओगे,, मुक्ति दिलाओगे
राम तुम आओगे !!!!
राम तुम न आते इस धरा
तुमने कठिन पथ पर चलकर
मानव शरीर धर कर
न सिखाते आदर्श जीवन का खरा
त्याग, तपस्या और आदर्श समाज का
मात पिता और भाई बंधू मधुर रिश्तों का
लोगों को भाता जंगली जीवन
असभ्य और अनैतिक जीवन
अकेले ही आदर्श बनकर चला
जीवन को आज परिभाषित कर रहे हैं
गलत कामों को सही कह रहे हैं
आज का मानव
बनकर दानव
शोभित हो रहा है
जिसे पाने को कई रूप धरा
राम तुम न आते इस धरा !!!
शबरी के राम
तुम आ जाना
तुम्हारी प्रतीक्षा में खड़ी है
शबरी
उस राह पर आ जाना
देर भले हो जाएं
मगर आ जाना
प्रेम पथिक खड़ी है
नयन की प्यास बुझा जाना !!!!
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