politics-on-ghazal-in-hindi- जब लोगों को सियासत ही करना है । तो सियासत में ही रहना चाहिए । साहित्य जैसे अच्छी जगहों पर नहीं आना चाहिए । जहां आकर लोगों को भ्रमित करते हैं । भ्रमित करके विचारों को परिवर्तित करने का प्रयास करना । जिनका मुख्य एजेंडा है । जबकि ऐसे बुद्धिजीवी एक ही गलत को दो तरह से देखते हैं । अपने और दूसरे पराएं की । अपने लिए सहानुभूति पूर्वक कहना तथा दूसरे के लिए व्यंग्यात्मक लहजे से । ताकि दूसरे लोगों में थकावट आ जाएं ।
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सियासत करने वाले लोग
पसंद/नापसंद में बंट ही जाना है
नफ़रत, घृणा में फंस ही जाना है
तुम्हारा एकतरफा न्याय की बातें करना
झूठ प्रबल, सच किंचित ही जाना है
साहित्य की दुनिया में क्यों फंसे हो बन्धु
आखिर तुम्हें सियासत में ही जीना मरना है
लोग बुरा न कभी मानेंगे
आखिर एक दिन तुम्हें सियासत में जाना है
लोग तुम्हें बेवजह बुद्धिजीवी मानते हैं
जबकि एक धर्म पर कहना है दूजे पर चुप हो जाना है
छोड़ दो साहित्य की दुनिया तुम
जब तुम्हें सियासत में जीना/मरना है !!!
तुम्हें सियासत ही करना है
इसलिए मुझे डरना है
तेरी बातें जो माने
आपस में लड़ना है
तुम रास्ता नहीं निकालते
सरल बातों को कठिन बनाना है
हम जानते हैं तुम क्या चीज़ हो
पैसों के खातिर जीना मरना है !!!
हर बातों पे सियासत लाई
अपने इरादों पे मोहब्बत लाई
उसे लूटना है सारा संसार
प्यार में नफ़रत लाई !!!
सियासत में कितना पा जाते हैं
शरीफों को ठग पाते हैं
धर्म में राजनीति ठीक नहीं
लेकिन राजनीति धर्म में हो तो थका पाते हैं
पंथों ने सीखा है गहराई से
वो आगे-आगे बढ़ते जाते हैं !!!!!
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-राजकपूर राजपूत
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