poem-change-on-hindi
हॉं , हमने बदले हैं
खुद को
जमाने के साथ-साथ
कुछ रिवाजों को छोड़कर
नया जोड़कर
जैसे बर्थ-डे में
केक काटना
पार्टी मनाना आदि आदि
हमने छोड़े हैं
पुराने कई रिवाज
तोड़े हैं
जैसे वृक्षों को
नदियों को
जानवरों को
पूजना
क्योंकि इसमें मस्ती नहीं है
इतनी सस्ती नहीं है
एक जिम्मेदारी है
रिश्तों को निभाने की
इंसान और प्रकृति के बीच की
परस्पर सहयोग को
अहसास जताने की
जिसे आदर से निभाना पड़ता है
थोड़ा कष्ट उठाना पड़ता है
और जहां आदर है
वहां मस्ती नहीं होती
यहां लोगों के अपने विचार हैं
इसलिए तैयार है
नये विचारों में
जाने के लिए
शायद ! यही प्रगतिशील सोच है
इसलिए थोड़ा बहुत खोट है
इसी तरह
कई रिश्तों को
जैसे भाई-बहन को
ब्रदर और सिस्टर कहना
एक दूसरे को अलग-अलग देखना
जो बौद्धिक विचार है
जबकि भाई-बहन
आत्मिक विस्तार है
हॉं , शाब्दिक अर्थों में
कुछ अंतर सा महसूस होता है
आपको लग सकता है
बोलने में क्या होता है
लेकिन नहीं
हर भाषा की अपनी गरिमा है
कुछ बौद्धिक कुछ आत्मिक महिमा है !!!!
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किसी के लिखने से
अंदाजा लगाया जा सकता है
उनके विचार
जब वो कहें पाखंड
तो समझ जाना
तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग से हैं
जिसकी आलोचना
नफ़रत से निकली है
निरंतर
जिसे वो प्रगतिशील विचार कहते हैं !!!!
जिसकी आलोचना नहीं कर सकते हैं
उसे वो प्रेम कर सकते हैं
साधारण सा रिश्ता
मोह-माया का !!!
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