साहित्य और साहित्यकार literature-and-literary-on-article-in-hindi

literature-and-literary-on-article-in-hindi साहित्य , मानव मन और हृदय से उपजी उद्गार है । किसी के दर्द की पुकार है, तो किसी की आस है ।जिसका मिलन पाठक वर्ग के अचेतन मन और आत्मा से होता है । आत्मा को जागृत करने के लिए । जिसकी स्वीकृति से साहित्यकार गदगद होता है । किसी पाठक द्वारा जब लेखक की दृष्टि तक पहुंच बनाती है।  अपनी अभिव्यक्ति की सफलता देख कर साहित्यकार संतुष्ट होता है । 

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 शुद्ध साहित्य, समाज और मानव की संवेदना को निखार देता है । व्यापकता भरी दृष्टि देती है ।जब किसी महान साहित्यकार अपने अनंत गहराई से मोती की माला पिरोती है । अपने शब्दों से , तब रचना सफल कहलाती है  । 

साहित्य किसी एक पक्ष के समर्थन और मनमानी तौर से अपनाने के लिए नहीं होते हैं । आलोचना नफ़रत से उपर होती है । सुधार की उम्मीद से की जाती है । घृणा से नहीं । 

अच्छे रचनाकार वहीं है जो अपनी दृष्टि से सुगमता के मार्ग प्रशस्त करें । जो सबको स्वीकार्य हो । मघुरता का वातावरण निर्मित हो । 

ऐसे साहित्यकार और साहित्य आजकल बिरले ही मिलते हैं । यदाकदा दिखाई देते हैं । 

आखिर वो ऐसे रचनाकार थे 

जिन्होंने सच लिखने की शपथ ली थी 

लिखा भी 

दिखा भी 

लेकिन समझदारों के लिए 

जिहादियों से डरते थे बहुत 

इसलिए तारीफ करते थे बहुत !!!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''


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