Poetry of Sex
उत्साह के लिए जरूरी है
सेक्स का प्रदर्शन
जिससे लोगों का ध्यान लगा रहे
जुड़ा रहे
सेक्स अंगों से
देखकर,,
मानसिक आनंद लेता रहे
मन की कल्पनाओं से
स्पर्श कर
इसलिए प्रदर्शन जरूरी है
जिसे एक कलाकार
अच्छी तरह से जानता है
आजकल लोगों का
नौ रसों में से
अधिकांश रस सूख चुके हैं
इसलिए
उन्हीं अंगों का प्रदर्शन करते हैं
जिससे दर्शकों की भावनाएं
आंदोलित हो
वासनाएं जाग जाय !!!
Poetry of Sex
सेक्स
एक उत्साह है
यदि भाव है
लगाव है
और इसी उत्साह को बनाने के लिए
एक स्त्री या लड़की
अर्धनग्न कपड़े पहनतीं हैं
और पुरुष समर्थन में उतर आते हैं
छोटे कपड़ों के !!!
पुरूष अच्छे व पूरे कपड़े पहने थे
बस लड़कियां अर्द्धनग्न होकर खड़ी थी
पुरूष पूरे कपड़े में ठीक था
और लड़की आधे
उत्साह और रोमांचित
लड़कियों को देखकर हुए
पुरूष पर नज़र नहीं गया !!!
पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण
औरत को छुपाता है
पुरूषों से
पुरूष जानता है
पुरूष का दृष्टिकोण !!!!
पुरूष से बराबरी करने के लिए
स्त्री अर्द्धनग्न होकर खड़ी है
ऐसा करके स्त्री
पुरूष से लड़ी है
जबकि पुरुष
स्त्री से आगे बढ़ने के लिए
कभी अर्द्धनग्न कपड़ों का सहारा नहीं लिया !!!!
किसी मोटरसाइकिल पर
जाते हुए जोड़े
पुरूष के जांघों पर
(दोनों टांगों के बीच)
एक स्त्री द्वारा
लिंग का स्पर्श करते हुए इतराना
गर्व करना
अपने सेक्स का प्रदर्शन है
जो शादी के बाद
कमरों के भीतर किया जाता है
बाह्य रूप में प्रदर्शन है
एक स्त्री और पुरुष का
जिसे मुर्खतापूर्ण रूप से
सबको बताते हैं !!!!
सरेआम
कहीं पर भी चुम्बन, आलिंगन करना
आधुनिकता नहीं है
दूसरों को भी अहसास कराने का अवसर है
जब एक स्त्री देखती है
तो चुम्बनरत
स्त्री को हटाकर स्वयं वहां अपनी उपस्थिति देती है
ठीक वैसे ही पुरुष भी
यौन संबंधों का मजा लेता है
इसलिए ऐसे रिश्तों को
कमरे और पर्दे के पीछे
जीने के लिए
कहते हैं
हमारे देश के संस्कार !!!!
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