article-hindi.Indifference तेरे और मेरे में उलझा हुआ इंसान कभी भी न्याय का फैसला नहीं कर सकते हैं । उसकी रहमत की नजर जब भी उठेगी । मेरे पर टिकेगी । तेरे पे नहीं । संवेदनशीलता अपनो के प्रति होती है । दूसरों के प्रति उदासीनता । उदासीनता संवेदनाओं को रोक देती है । आदमी जानबूझकर अनजान बन जाते हैं । हर उठने वाली समझ को रोक देते हैं । ऐसा नहीं कि उसे भी दर्द का अहसास नहीं है । मगर पराए का दर्द ख़ास नहीं होता है ।
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आज के जमाने में लोग नेगलेक्ट करना अच्छी तरह से जानता है । हो सकता है उसके पास समय नहीं है । या फिर समय का बहाना जो नेगलेक्ट का एक प्रारूप है ।
जिसने सभी इंसानों में भेद के भाव उत्पन्न कर दिए हैं ।
जहॉं भी जाओ,, जिसके पास जाओ । उदासीनता और नजरअंदाज कुछ न कुछ मात्रा में जरूर मिलेंगे ।
जब न्याय की बातें गैरों पर ही की जाएं और अपने लोगों पर चुप हो जाय तो उस न्याय को जो स्वीकारते हैं । उनका शोषण होता है । बेशक ! ये विचार क्रांति सा महसूस हो दुनिया के लिए । लेकिन यह प्रक्रिया अन्याय का वीभत्स रूप है । जो नफ़रत से उपजी होती है । जिसे अपने से भिन्न विचार वाले लोगों को दबाने के लिए है ।
अच्छी बातें यदि समझदार लोगों के बीच रह जाय । मुर्ख और अंहकारी लोगों से उम्मीद नहीं किया जाय तो वह कोई समझदारी नहीं है । बेवकूफी की बातें हैं । जो ग्वारों को आजादी व उच्छृंखलता देती है । ऐसे समझदार लोगों का समूह कायर है जो अपने समझदारी भरी बातों से बचते हैं । छुपते है ।
नेगलेक्ट करने की प्रवृत्ति उन लोगों ने ज्यादा अपनाया है जिसे किसी से मतलब नहीं है । जो अपने लिए जीते हैं । केवल स्वार्थी हैं । वे बहुत ही आसानी से नेगलेक्ट कर जाते हैं । जबकि जिसे किसी से मतलब है । वे नेगलेक्ट नहीं कर सकते हैं । बल्कि छोटी छोटी बातों का ध्यान रखते हैं ।
नेगलेक्ट उसी का किया जाता है । जिससे भविष्य में संबंध या आवश्यकता की पूर्ति न के बराबर है ।
नेगलेक्ट करना और जरूरत में फिर मीठी बातें करना,, धूर्त चालक लोगों की पहचान है । जो खुलेआम शोषण करने में माहिर होते हैं ।
उदासीन रवैया से स्थापित संबंध में खुशी नहीं होती है । केवल लोकाचार होता है
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