Ghazal-Hindi - Shahar
ये शहर वो शहर तो नहीं
मुझे अभी तक याद तो नहीं
यहॉं जो भी मिले उदास मिले
सबके दिल में कोई राज़ तो नहीं
ये ऊंची-ऊंची इमारतें तुझे मुबारक
ये सब मेरे कुछ काम के तो नहीं
मैं छोड़ के तेरा शहर चला जाऊंगा
कमाने आया हूॅं यहॉं मेरा मकान तो नहीं !!!
Ghazal-Hindi - Shahar
कोई हंस नहीं सकता है
इस शहर में
हर कोई डरा है
दिमाग की ज़हर से
कब कोई किसे डस लेगा
अपनी चालाकी व्यवहार से!!!
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