-भारत का वर्तमान करोना काल अत्यंत ही भयावह है ।article -karona-vayaras-aur-aap जिसमें चारों ओर डर का माहौल है । करोना बीमारी और मौत के नाम से सबके दिल और दिमाग भय व्याप्त है । दिनभर घरों में बंद रहना और उसके बाद अवसाद की स्थिति निर्मित होना । शरीर में अजीब सी थकावट पैदा कर रही है । खुली जिंदगी का अभाव , दिनभर में कभी ना कभी करोना का ख्याल आ जाना,,भय उत्पन्न करता है । मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस करना लाजमी है ।
ऐसी स्थिति से कैसे बचें ।यह एक बहुत बड़ी चुनौती है । क्योंकि जब भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करो कहीं न कहीं नकारात्मक खबरें और सुचनाएं प्राप्त हो जाती है । ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के लिए हम सबको क्या करने है । एक गम्भीर चुनौती है ।
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ऐसी स्थिति के लिए क्या करना चाहिए -:
सृजनशीलता- खुद को किसी रचनाात्मक कार्यों में व्यस्त रखें । किसी ऐसे कामों में जििसे आप करना चाहते थे लेकिन अपनी व्ययस्तता सेेेे कर नहीं पा रहे थे । ऐसे रूके कामों को पूरा कर लें । इससे समय आसानी से गुजरेगा । अधूरे पड़े काम भी पुुरा होगा ।
खुद पर भरोसा रखें-: अक्सर डर तब लगता है जब हम समझ नहीं पाते खुद को । अपने भावों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं । जैसे करोना काल में हर पल-पल में यहीं लगता है कि कहीं से संक्रमित न हो जाए । जबकि संक्रमित होना भी आपके सम्पर्क की नादानी से ही होगा । लेकिन हम केवल अपने डर को ही बस समझने की कोशिश करते हैं ।
करोना बीमारी को जाने-:
केवल डरने से कुछ नहीं होता है । डर अज्ञानता की उपज है । व्यर्थ के डरने की अपेक्षा बीमारी की लक्षणों को जानें । अपने शरीर के हलचल,, उनके व्यवहार, को महसूस करते रहे । ऐसा कोई काम न करें जिससे आपको संक्रमित होने की संभावना हो । छोटे बच्चों की शारीरिक लक्षणों पर नजर रखें । वर्तमान समय में कोई भी बीमारी हो तुरंत ही इलाज करावे । हर सर्दी-जुकाम या बुखार साधारण हो सकते हैं । जो सामान्य इलाज से ठीक हो सकता है । केवल डर की वजह से भयभीत न रहे । अगर करोना के लक्षण है तो भी उसे आसानी से लड़ा जा सकता है । सिर्फ सावधानी से । कई ऐसे घरेलू इलाज है जो सामान्य लक्षणों को खत्म कर सकते हैं । इसी तरह से अपने पर्सनल डॉक्टर से भी परामर्श लेकर करोना की लड़ाई को जीता जा सकता है । जरूरत लगे तभी अस्पताल में भर्ती होवे ।
नकारात्मक विचारों से बचें:-
मनुष्य का स्वभाव है कि वह नकारात्मक विचारों के प्रति जल्दी आकर्षित होते हैं । क्योंकि नकारात्मक सोच हमारी भावनाओं को छूते हैं । सोशल मीडिया और न्युज चैनलों पर केवल भय उत्पन्न करने वाले खबरें ही ज्यादा ध्यान आकर्षित करते हैं । जिसे न्युज चैनल और भ्रम फैलाने वाले अपने हितों के लिए उपयोग करते हैं । उनका टी.आर.पी. बढ़ जाती है । क्योंकि हम उससे जुड़े हुए हैं । हमारी भावनाएं,, हमारी सोच उससे बंध जाते हैं । इसलिए वहीं देखें जो आपको सकारात्मक विचारों से लबालब कर दें । न कि हताशा और निराशा का भाव हो ।
अपनों से जुड़े रहे:-करोना काल में अक्सर लोग अपनों से दूर हो रहे हैं । एक दूसरे से भय खाते हैं । जो कुछ हद तक गलत है । आप चाहें तो टेक्नोलॉजी के जरिए अपनों से जुड़े रह सकते हैं । मोबाइल आदि के माध्यम से अपनों से जुड़े रहे । जिससे आपमें मानसिक अवसाद से बच सकते हैं । परस्पर हालचाल पूछते रहे । ताकि मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहा ।
जितना संवाद होगा, रिश्ता खास होगा ।
और अंत में यही कहूंगा कि आपका स्वास्थ्य आपके सोच और समझ पर निर्भर करता है ।हर दवाई जरूरी नहीं आपके लिए अनुकूल हो । हर भोजन आपके लिए पथ्य हो । महसूस करना और चुनाव करना आपको बेहतर बनाते हैं । हर बीमारी से लड़ा जा सकता है लेकिन किसी के सोच से नहीं !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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4 टिप्पणियाँ
Good
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
हटाएंबहुत बढ़िया 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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