Illiterate Story Hindi
दिनेश जब अपने घर वाली को लाने पहली बार ससुराल गया । तो वह भी अच्छे कपड़े पहने हुए थे । आखिर ससुराल का सवाल था । सास -ससुर,साला और साली क्या कहेंगे..! उसका भी कोई मान सम्मान है ।
टीप- टाप.! अलग ही अंदाज में । साली तो देखते ही रीझ गई । उठना , बैठना , बातें करने के तरीके ।सब कुछ आकर्षण था । वह किसी से कम नहीं था । बिल्कुल साहब लग रहे हैं, अपना दिनेश । सास-ससुर यही मान रहे थे कि दामाद तो लाखों में एक है ।
सब लोग बहुत खुश थे । बेटी की बिदाई में तरह-तरह के व्यंजन बनाए थे । दामाद नाराज ना हो जाए ।
उसी समय घर में डाकिया आया और एक खत छोड़ के चला गया । बस्ती की ओर चिठ्ठी बांटने ।
दिनेश का साला परदेश में रहते थे । उसी का होगा । पहले घर वाले डाकिया से ही खत पढ़ा लेते थे । लेकिन आज इसकी जरूरत नहीं थी । घर में दामाद जो आया था ।
दिनेश को बुलाया गया । खत पढ़ने के लिए । माॅ॑-बाप उत्सुक थे । अपने लड़के की कुशलता जानने । और सभी परिवार के सदस्य एक कमरे में इकठ्ठा हो गए । सबकी नजरें अब दिनेश पर थी।
दिनेश खत को हाथ में रखते ही घबराने लगा । कभी खत को देखते तो कभी घर के सदस्यों को । नजरें फेर लेते । ऐसा लग रहा था कि वह कोई बात कह नहीं पा रहा हैै । चुपचाप चिठ्ठी को पकड़े खड़े रहे । जिसे देखकर घर वाले चिंतित हो गए ।
दिनेश से बार बार पूछने लगे - क्या लिखा है बेटा ? चुप क्यों हो.? सास आके पूछती । दामाद को परेशान देखकर ससुर जी भी जिंद करने लगे । घर के अन्य सदस्यों ने भी पूछा । फिर भी उसने कुछ भी नहीं बोला । घर वालों के बार बार पूछने पर उसका पसीना छूटने लगे । ऐसा लग रहा था कि दिनेश कोई बात सबसे छूपा रहा है । जिसे देख घर की महिलाएं ज्यादा परेशान होने लगी । ज़रूर कुछ अनहोनी घटना घट गई है जिसे दिनेश कह नहीं पा रहा है । और उन लोगों का दिल भयभीत हो रोने को होने लगी । ऑ॑खें भर गई ।
रोते हुए सास ने कहा- क्या हुआ बेटा, बोलते क्यों नहीं..?
जिसे सुन दिनेश और भयभीत हो गए । उसके इस तरह से चुप रहने से घर भर में महिलाएं जोर जोर से रोने लगी । पूरा घर शौकाकुल डुब गए । बेटों के साथ जरूर बुरी घटनाएं घट गई है । जिसे दिनेश कह नहीं पा रहा है ।
ससुर जी परेशान,नव विवाहित पत्नी भी परेशान थी । ऑ॑सू पोछतें । थके हारे सभी बेसुध हो गए ।
कुछ देर बाद डाकिया वापस लौटे तो वह हैरान हो गया कि इस घर में अभी तो सब कुछ सही थे । कुछ पल में क्या हो गया । पता लगाने के बहाने से वह घर के अंदर प्रवेश किया ।
सभी महिलाएं रो रो परेशान थी। दामाद खत को पकड़े खड़े थे ।
"क्या हो गया दामाद जी ।देखाओ कौन सी बातें लिखी हैं ।"
खत में नजर दौड़ाते ही डाकिया समझ गया कि वहाॅ॑ सभी अच्छे हैं । लेकिन ये दामाद...!
घर वालों को डाकिया समझाने लगे कि खत में ऐसी कोई बात नहीं लिखी है । जिससे आप परेशान हो । जिसे सुन सभी ने राहत की सांस ली औरअपने अपने ऑ॑सू पोंछे । दिनेश को कहने लगे इतनी-सी बात को कह देते तो क्या हो जाता । बेवजह सबको परेशान कर दिया । मजाक कर रहे थे क्या..? लेकिन बहुत गलत कर रहे थे । किसी को सदमे लग जाते तो...! अनहोनी हो जाती.. तुम्हारे मजाक में .!
इतना कह के पड़ोसी और कुछ रिश्तेदार(गांव के) चलें गए । इनका दामाद पागल है…! किसी को मार डालेगा ।
घर में अजीब-सी खामोशी छाई हुई थी । सास ससुर और पत्नी का दिल टूट गई थी । जो भरोसा, उम्मीद हुआ था । वो सब हवा में उड़ गए । सब जान गए कि दिनेश पढ़ा लिखा आदमी नहीं है ।बस यही बात है जिसके कारण वह चुप रहा ।
तभी डाकिया ने कहा-" अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है चाहो तो तुम पढ़ सकते हो ! दस-पंद्रह दिनों में सीख जाओगे । तुम चाहो तो मेरे घर में आ सकते हो । एकाध घंटा समय दें सकता हूॅ॑ । पास में ही गांव है मेरा ।"
दिनेश उसके सामने झुक गया और विनती करने लगे कि आप ही ने मुझे समझा है । मैं आपके पास आऊंगा ।
सास ससुर ने कुछ तो नहीं कहें लेकिन बुरा जरूर मानें। । होने वाली पत्नी उसे बहुत चाहती थी । वह भी दिनेश के साथ पढ़ने डाकिया के घर जाने लगी ।बस कुछ ही दिनों में थोड़ा बहुत पढ़ना सीख गए ।
पुरा एक महीना बाद अपने घर ससुराल से आया । घर में रामायण का पाठ प्रतिदिन धीरे-धीरे जरूर करते हैं । जिससे भगवान की स्तुति, प्रार्थना होता रहे और अभ्यास बना रहे ।
धन्यवाद
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