You are Mine - Story शादी हुई अभी कुछ महीने हुए हैं । शेखर पहली बार अपनी पत्नी के साथ ससुराल आया है । ससुराल में सभी लोग खुश हैं । पत्नी (सुमन) सबसे मिलकर खुशी बांट रही है ।
सुमन इसलिए खुश है, क्योंकि उसे ससुराल अच्छी मिली है । पति, सास-ससुर ननद, देवर सब ठीक है । खासकर शेखर । उसकी सोच और उसकी भावनाएं । बहुत ऊंची है ।
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जब रात में सब लोग साथ में खाना खाने बैठे थे । तब गांव के हिसाब से इधर उधर की बातें शुरू हो गई है। पहले के लोग व्यवहार में खीर पूड़ी सब्जी बनाते थे लेकिन अब मांस मछली । जबकि शेखर इन सबसे दूर रहते हैं । उनके लिए खीर पूड़ी ही बनाया गया था ।
उनके ससुर कह रहे थे कि अपने समय में काफी दुःख तकलीफ उठाए हैं । तब जाके बच्चों की परवरिश कर पाए । भगवान की कृपा थी कि बच्चे आज अच्छी स्थिति में हैं ।
"भगवान की कृपा नहीं अपनी मेहनत से अच्छी स्थिति हुई है । रात दिन का प्रयास है । भगवान की कृपा मानना अंधविश्वास है । लोग क्यों इस तरह से बोलते हैं ।
शेखर अच्छा लड़का है । हमें पहले से ही पता था । जिससे रिश्ते जोड़ने के लिए कितनी कोशिश की । तब जाकर रिश्ता जुड़ा । वर्ना सुमन की चिंता खाई जा रही थी । बहन मोटी है । कौन ब्याहेगा ? मोटी की वजह से चेहरे पर आकर्षण भी नहीं था । "
सुमन के बड़े भाई ने कहा । जैसे वो दुनिया समझते हो । जब भी मांस मछली घर पर बनते हैं , तो वे अपने लिए शराब ज़रूर ले आते हैं । नशा चढ़ते ही भाषण शुरू ।
"पढ़े-लिखे ज़रूर हो । लेकिन शब्दों की सीमा और मर्यादा नहीं जानते, बड़बोलेपन से क्या बोल रहे हो?, कुछ पता भी है । तुम्हारी बहन है । उसके बारे में ऐसी बातें । तुम्हें पता होना चाहिए, वो अब मेरी पत्नी है ।" शेखर गुस्से से कहा ।
लेकिन सुमन के बड़े भाई को कोई फर्क नहीं पड़ा । वो खुद को तर्कशील और शिक्षित मानता था । शिक्षा की बातों पर जोर देता था । सोशल मीडिया पर कई सवाल खड़े किए हैं । जहां पर काफी चर्चित व्यक्ति है ।
" वास्तविक है । सुमन उस समय वैसे ही थी । मैं सच बोल सकता हूं । भले ही कोई माने या न माने । और इसमें बुरा मानने वाली बात नहीं । समझदार आदमी सत्य को स्वीकारता है । भावुकता को नहीं । "
आक्रमक अंदाज, ऊपर से किसी का ना सुनना । बहन को अच्छी नहीं लगी । सुमन सोचने लगी - जो है सो है , अब सूरत ही ऐसी है तो क्या करें ? घृणा जिम्मेदारी नहीं देती है । जो दृष्टिकोण उसके प्रति बना है । बाहर आ रहा है । लेकिन डरती थी,, उसके पति को बुरा न लगे । अभी शादी नई-नई हुई है ।
तभी शेखर को इशारा करके सुमन ने चुप रहने के लिए कहा । हालांकि वे खुद ही शर्म से झुकी हुई थी । भाई की बातें उसे भी अच्छी नहीं लगी । कुछ लोगों के लिए शिक्षित होने का मतलब उसकी बातों को मानना है । उसकी दृष्टि में सही है, वहीं ठीक है । उसका भाई ऐसा ही था ।
शेखर चुपचाप चला गया । अपनी पत्नी को एक कमरे में बुलाकर कहने लगा - "कल सुबह हम निकल जाएंगे । जहां तुम्हारा सम्मान न हो, वहां रूकना ठीक नहीं है । मेरी भावनाओं को ठेस पहुंची है । मैं नहीं चाहता फिर कोई ऐसी वैसी बात हो ।"
"बड़े भाई की बातों को किसी ने कभी नहीं काटी है । इसलिए उनकी बोलने की आदत बन गई । पीने के बाद और । "सुमन ने कहा ।
"शिक्षित होने का मतलब ये नहीं है कि कुछ भी बोल दो । सच रहा होगा उसकी बातें लेकिन अब उस समय की बातों को कहना ठीक नहीं है । पीने के बाद लोग अपनी सोच जाहिर कर देते हैं । तुम्हारे साथ मेरी भावनाएं बंध गई है । मैं तुम्हें पसंद करता हूं, मतलब करता हूं ।
कल चले जाएंगे । ये दबाव नहीं है । न ही नाराजगी मेरी । उनके मुताबिक जो भी हो । लेकिन तुम मेरे हो । "
इतना सुनकर सुमन चुप हो गई ।
चूंकि स्त्री एक सुरक्षित घेरे की तलाश करती है, वह चाहती है कि उसके जीवन में पिता की तरह सुरक्षा का भाव हो। हालांकि उसके मायके में भाई से ऐसी उम्मीद नहीं थी, लेकिन पति के अपनत्व के भाव ने उसे समर्पित करने के लिए काफी था। यह अपनत्व का भाव उसे एक सुरक्षित और प्रेमपूर्ण वातावरण प्रदान करता है, जहां वह अपने आप को सुरक्षित और संरक्षित महसूस कर सकती है।
उसने कहा "हां , हम लोग कल चलें जाएंगे । तुम मेरे हो । "उसकी आंखें भर आईं ।
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