Ways to influence Articles and Poems प्रभावित करने का प्रयास हर किसी का होता है । चाहे पुरुष हो या स्त्री । सजने संवरने का तरीका भी इसी क्रम का है । ठीक वैसे , जैसे आधुनिकता के नाम पर लोगों द्वारा चापलूसी मीठी बातें , खुद को श्रेष्ठ साबित करना, आदि ।
प्रभाव डालने की प्रक्रिया अपने क्षेत्र सीमा तक हर कोई करता है । ताक़त को चापलूसी से, कमजोर को दबा कर । प्रेम को मना कर, नफरत को हरा कर । फिर चाहे परिवार हो या समाज, स्टाफ हो या दोस्त मंडली ।
प्रभाव,, स्थायित्व के साथ कभी स्थापित नहीं हुआ है । चाहे अच्छे हो या बुरे । उसे बरकरार रखने के लिए एक कुशल नेतृत्वकर्ता की आवश्यकता होती है । जो किसी व्यक्ति या समाज पर स्थायित्व के साथ प्रभावित कर सकें । ये व्यक्ति और समूह के नजरिए हैं । चाहे जिसे ग्रहण करें या कब तक दोष न देखें हैं । एक बार दोष देख लेने के बाद चुभने लगता है या कहें कठिन लगने लगते हैं । किसी विचार को जीना ।
Ways to influence Articles and Poems
समूह का नजरिया कितने दिनों तक टिका रहेगा उसके विश्वास और आस्था पर निर्भर करता है । जो ज्यादातर भीड़ से स्वीकार किया जाता है । जो उत्साहित होकर जीते हैं तो एकाध का विरोध प्रभावहीन हो जाता है । अगर प्रभाव छोड़ना है तो समूह को हांकना पड़ेगा । आधुनिक युग का मतलब ही चालाकी है । जिसे समझदारी का नाम भले दे दिया गया है लेकिन तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा ऐजेंडा सेट कर जनसाधारण का ब्रेनवाश करना,, बिना किसी पूर्व जानकारी के बौद्धिक तानाशाही है ।
सरकार और विपक्ष की एक पार्टी होती है । जो निश्चित ऐजेंडे पर चलती है । उसे स्थापित करने का प्रयास हमेशा रहता है । लोकतंत्र में ये प्रक्रिया धीमी गति से होती है लेकिन एकाएक सत्ता परिवर्तन से आएं तानाशाह बन कर तत्काल प्रभावित करते हैं । अपनी ताकत से । स्पष्ट होकर । बिना किसी तर्क, न्यायसंगत के । जिसे मानने के लिए बाध्य हो जाय वहीं तानाशाही सबसे क्रुरता के साथ अपना प्रभाव स्थापित करते हैं । जबकि डरा हुआ आदमी कुछ भी बोलने से बचता है । ठीक मतलबी लोग । उससे ज्यादा परिवर्तन और सच की उम्मीद ही मुर्खतापूर्ण है
।
इन्हें भी पढ़ें खुद को समझना
खाली दिमाग था
इसलिए पड़ोसियों के बीच था
कभी उचक कर पान ठेले के पास
कभी भटककर
दोस्तों के बीच गप्प मारकर
समय काटता था
खाली दिमाग था
कुछ भी सोच लेता
लेकिन विश्राम नहीं
जिसके जीवन में
कुछ काम नहीं
मगर फ़ुरसत कहां है उसे
लक्ष्य साधना है जिसे !!!
दिमाग खाली नहीं होता है
यदि कोई काम होता है
सपने प्रेरित करते हैं रात-दिन
इसलिए विश्राम नहीं होता है !!!!
जब-जब मन खाली हुआ
जीवन कठिन और भारी हुआ
कभी और कहीं भी ठहरा नहीं मन
बिन अरमान के मन खाली हुआ
एक उम्मीद सी जगी थी
चाहत मेरी बस तू ही थी
भरा,, हरा-हरा सा मन मेरा
जहां भी गया तू साथ रहा मेरा
इस तरह खालीपन भरा मेरा !!!!
मैंने चाहा तुम्हें
बस यही उम्मीद में
एक छतरी की तरह
भरी बरसात में
सफ़र करूं
तुम्हें ओढ़ू
चलूं साथ
जैसे बालक पकड़ कर चलता है
अपनों से बड़े लोगों का हाथ
निश्चिंतता के साथ !!!!
मैं तुम्हें देखूंगा
अपने लिए
गैलीलियो की तरह नहीं
जो देखता है
आकाशगंगा
किसी तलाश में
दूसरों को बताने के लिए
मैं तुम्हें देखता हूं
अपने लिए
खुद का शोध करते हुए
और मैं पाता हूं
अपना अस्तित्व
तुम्हारे पास में
जितना आता हूं !!!!
रूठकर मैं नहीं आया हूं
टूटकर आया हूं
उससे दूर
जिससे फिर कभी
वापस लौट आने की उम्मीद
बेकार है
उलझ रहा था मेरा मन
उसके पास रहकर
जिसने मुझे कभी अनुमति नहीं दी
साथ रहने के लिए
दूर जाने के लिए
कशमकश में पड़ा रहा
उसके निर्णय के लिए खड़ा रहा
जब आशाएं छूटी
मैं टूट गया !!!!
ये आंखें
देखतीं बहुत हैं
ईंट उठाते हुए मजदूर
सीमेंट की बोरियों को
ढोती हुई स्त्रियां
सीमेंट,रेत और गिट्टी में सने हुए
अट्ठारह साल के नौजवान
पढ़ें लिखे होने के बावजूद
घर की गरीबी से लाचार होकर
दिहाड़ी के इकट्ठा करते हुए पैसे
ये आंखें देखती हैं
कुर्सी लगाकर बैठे
ठेकेदार और सुपरवाइजर
सबको हांकते हुए
काम के बदले पैसे
बांटते हुए
यदि नज़र नहीं चढ़ी तो
काम कम के हिसाब से
पैसे काटते हुए
ये आंखें देखती बहुत हैं
लेकिन बोल नहीं पाती
सबका स्थान अलग-अलग
हिसाब किताब अलग-अलग !!!
-राजकपूर राजपूत
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