अहंकारी व्यक्ति को कैसे पहचानें -लेख cocky-person

 ईगो - अहंकार । अपने हिसाब से प्रमाणित करना ।cocky-person-how-to-recognize-article- हर चीज को । स्वीकारोक्ति स्वयं के अनुसार । जैसे स्वयं सम्पूर्ण है । जिसे किसी की आवश्यकता नहीं है । सब उस पर निर्भर है ।उसकी दया दृष्टि है जो किसी को स्वीकारता है । 

खुद को इस तरह साबित करना कि उसके विचार सर्वव्यापी है । इसलिए वो महान है । जबकि जो चीजें हम महसूस नहीं कर पाते हैं । वो हमारे लिए बेकार है । स्वादानुसार अपने जिव्हा के स्वाद बेहतर मानना मुर्खतापूर्ण है । इसी दुनिया में ईश्वर को मानने वाले कई महान लोगों ने जन्म लिया है लेकिन कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों का जन्म सबसे बेहतर है । ऐसा वो मानता है ।

गैरों के अस्तित्व उसके सामने कुछ भी नहीं  ।  उसकी सोच से सब उससे छोटा है ।  अंहकार है । 
मैं ही कर सकता हूं । मैं ही समझ सकता हूं । जब ऐसे बोल निकले तो समझ जाइए कि आदमी अहंकार में चूर है ।

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अहंकारी व्यक्ति की प्रवृत्ति-

 
अहंकारी लोगों की प्रवृत्ति की उत्पत्ति उसके समझने की क्षमताओं के कारण से है । जो यह भूल जाता है कि दुनिया में क्षमताओं की कमी नहीं है । उससे बढ़कर भरे पड़े हैं । लेकिन उसकी जैसी मुर्खता नहीं दिखाते हैं । 

अहंकारी लोगों में नम्रता, कोमलता, दयालुता आदि गुणों का अभाव होता है । जिससे शब्दों में कर्कश भाव सदा परिलक्षित होती है । दूसरों के भावों को एक लाइन से काटने के गुण ज्यादा होते हैं । जिसे बिना सोचे- समझे बड़ी आसानी से कर देते हैं । ऐसे लोगों से जुड़ाव और अपनापन का अहसास नहीं होता है ।

अहंकारी व्यक्ति से जुड़े हुए लोग-

 
जो लोग जुड़े रहते हैं । अक्सर उसकी अन्य चाहत होती है । जो मतलब वंश साथ रहते हैं । ऐसे अहंकारी व्यक्ति से जुड़े हुए लोग अस्तित्वहीन होते हैं । जो निज स्वार्थ पूर्ति में लगे रहते हैं । जिसको अपने/पराए से कोई मतलब नहीं है । ऐसे स्वार्थी लोग एक दिन उसका भी साथ छोड़ देते हैं । जो अहंकारी लोगों के साथ देखा गया है । ऐसे लोग अहंकारी व्यक्ति से ज्यादा घातक है ।अपना उल्लू सीधा करने के चक्कर में अहंकारी व्यक्ति की बुराई का बढ़ावा देते हैं । उसे कभी टोकते-रोकते नहीं है ।  चापलूसी करने में माहिर । ध्यान रहे चापलूसी करने का कारण डर है । जो जानते-समझते हुए भी अहंकारी लोगों के हां में हां मिलाते हैं ।  जो कभी- कभी उसके लिए घातक सिद्ध होते हैं ।

एटिट्यूड का अर्थ 


ऐटिट्यूड — मनोवृत्ति । अपने दृष्टिकोण से संचालित गतिविधियां । कार्य करने के तौर — तरीके । 
दोनों ही गुणों में व्यक्ति दूसरों से भिन्न होने की कोशिश करते हैं । फर्क यही है कि एक में मुर्खता ज्यादा होती है तो दूसरे में समझ की मात्रा कम ज्यादा हो सकती है या फिर बहुत बढ़िया ।  
एटीट्यूड आदत में शामिल होते हैं । जो शुरूआत में किसी से प्रेरणा लेकर की जाती है । किसी अन्य के तौर तरीकों को अपनाते हैं । जिसे वो बेहतर मानते हैं ।  जो बाद में आदत में शामिल कर लेते हैं । जिससे उसकी पहचान होती है ।ऐसी नहीं कि एटिट्यूड बुरी चीज है । ये तो अपने अस्तित्व की प्रस्तुति है । जिसे हम स्वयं दिखाते  हैं । दुनिया के सामने ।  

अहंकारी व्यक्ति और एटिट्यूड-


जो जितना बेहतर तौर तरीकों को अपनाते हैं । वे उतने ही समाज में बेहतर स्थान पाते हैं । कोई कोई ऐसा भी हो जाता है कि बुरे तौर तरीकों को अपना लेते हैं । अपना आदर्श रूप में । जिसे समय के अनुसार बदल नहीं पाते हैं । क्योंकि जिस दृष्टिकोण को आदत में शामिल करते हैं । उसमें सुधार या समयानुसार परिवर्तन कर पाना कठिन हो जाता है । उसके बारे में सोचते नहीं है । अनायास ही कार्य या व्यवहार करते हैं । जो अहंकारी व्यक्ति के पास के समकक्ष लाकर रख देता है ।  जिससे सामने वाले व्यक्ति देखकर, समझकर व्यवहार करते हैं । अगर स्वयं को पहचानना है तो दूसरों का आंकलन करने की अपेक्षा व्यक्ति स्वयं के एटिट्यूड को समझ लें तो यह समझने में आसानी होगी कि सामने वाला उससे ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है  ? क्या सोचते हैं ? क्या समझते हैं ? उसके बारे में ! !


-राजकपूर राजपूत
 

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