चेतन तत्व और हम

चेतन ऊर्जा हमारे शरीर को इस तरह से नियंत्रित करते हैं कि हमें समझने का मौका भी नहीं देते हैं । कब अपनी क्रिया से बड़ी  सरलता पूर्वक किसी कार्यो का सम्पादन कर देते हैं । चेतन ऊर्जा जो हमारी सोच,,,समझ से परे है । जिसे समझना इतना आसान नहीं है । हम चाहे या न चाहे । वो हमारे साथ पल-पल रहता है । हमें नियंत्रित करते हैं । तटस्थ होकर । बिना रोक-टोक के । हमारे साथ चलते हैं । जबकि हम ही उनसे अनभिज्ञ रहते हैं । उसके प्रति । जिसे कई व्यवहारों में देखा जा सकता है । 
जैसे हम डर जाते है । तब हमारे भीतर उपस्थित ऊर्जा वहॉं से भागने के लिए प्रेरित करते हैं । जैसे भी हो,,, गिरकर या सम्भल कर । हालांकि कि ये हास्यास्पद महसूस हो लेकिन सत्य है । 
जो सहज क्रिया के रूप में प्रगट होते हैं । शरीर में उपस्थिति चेतन ऊर्जा का ,, प्रतिक्रिया है । जैसे आँखों के सामने अचानक कीट पतंगे आ जाते हैं और हमारी पलकें बिना प्रयास के बंद हो जाते है । ठीक वैसे ही । इसी प्रकार जब डर जाते हैं और बचने की उम्मीद नहीं दिखती है । तब हम चीखने-चिल्लाने लगते हैं । जिससे  आसपास के लोग आ जाते हैं । जिससे मदद मिल जाती हैं ।अनायास ही ।
बेशक इस क्रिया में हमारी बुद्धि,,मन और तन में तालमेल न हो । लेकिन चेतन तत्व आपके पास हमेशा उपस्थित रहते हैं । जो अनजाने रूप में मदद करते हैं । जब तक शरीर से वह निकल नहीं जाते हैं अर्थात मर न जाए हम ।
इसी तरह से हमारी सोच,,समझ,,चाहत आदि में मदद करते हैं । कई बातें जो हमारी बुद्धि पकड़ नहीं पाती,, उसे ढूंढने में मदद करती है । हमारी याददाश्त में उस पहलुओं को हमारे करीब ले आते हैं । जिसे हमारी बुद्धि अपनी समझ के अनुसार ग्रहण करते हैं ।  कई बार भुला हुआ शब्द हमारे जेहन में नहीं आते हैं उसे पहचानने में मदद करते हैं ।
क्षण-प्रतिक्षण हमारे शरीर अपने प्रकृति के अनुसार विकास करता है । धीरे-धीरे टूटता जाता है । हम चाहकर भी अपने शरीर को उम्र के अनुसार बचा नहीं सकते हैं । जो आज बच्चा है । कल जवान होगा । फिर बुढ़ा । हमारे शरीर के ऊतकों का क्षय होगा । उस वक्त भी हमारे शरीर में चेतन ऊर्जा विद्यमान रहेंगे लेकिन हमारे शरीर उसे खुद के भीतर बांध नहीं पाएंगे । जब शरीर के बंधन से पूर्णतया मुक्त हो जाएंगे । उस दिन हम मर जाएंगे । रह जाएंगे केवल मिट्टी का तन । जिसका कोई मायने नहीं है ।इस संसार में !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''


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