महिला दिवस पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई ! ❤️
women's day article जब भी आप कोई पर्व मनाते हैं । उसका उद्देश्य भी आपके सामने आते हैं । उसकी जरूरत उसकी कीमत आपके स्मरण में बना रहे । इसलिए आप किसी पर्व को मनाते हैं । हालांकि पर्व निरंतर मनाने से उसके मायने खो जाते हैं और हम सब बस लकीरें पीटते हैं ।
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महिला दिवस की आवश्यकता आज इसलिए है कि हम सभी महिलाओं के प्रति सम्मान दिल में ला सके । उनका सम्मान कर सके ।
निश्चित ही आज महिलाओं की स्थिति में सुधार आ गई है । कुछ हद तक । महिलाएं जान गई है ,,अपना अधिकार । फिर भी जानने बस से नहीं होता है । उसकी सहज प्राप्ति ही मायने रखती है । यदि अपने अधिकार के लिए पुरूषों पर निर्भर है तो उसके अधिकार की कीमत नहीं है । वो आज भी पुरूषों की दया-दृष्टि पर निर्भर है । बहुत कम महिलाएं देखें है जो स्वयं निर्णय लेती हो । आज भी पुरुष उसे उपेक्षित करते हैं । बंद कमरे में । उसकी साहस,,मनोबल टूटी हुई होती है ।
एक पुरुष जब भी लेडीज फर्स्ट कहते हैं,,,, वही पर अपमानित करते हैं । महिलाओं को । जबकि सम्मान करते हो तो कहने की जरूरत ही नहीं । उसके लिए स्थान हमेशा सबके दिल में होना चाहिए । प्रदर्शन करने वाले अक्सर सभ्य बनने का ढोंग करते हैं । सुन्दर चेहरे को देख कर खुद को सभ्य, शिक्षित होने का प्रमाण देने की कोशिश होती है । इसलिए अच्छे कपड़े और चेहरे देख के ही बोलते हैं । जिसे बसों,, ट्रेनों आदि में देखा जा सकता है । मामूली,, समान्य महिलाओं के लिए मन में घृणा,, संकुचन,, उबाऊपन देखा है । पुरूष ही क्या महिलाओं को भी अंतर करते हुए देखा गया है । खैर अपनी अपनी सभ्यता है जिसे दुनिया अपनाई हुई है ।
समानता कहने भर की बातें हैं । जिसने कभी समानता के मायने समझें ही नहीं है । वे कपड़े और सूरत से लाने के लिए प्रेरित होते हैं । उसकी समानता क्षणिक है । ढोंग है । जो चेहरे के उतरते ही उतर जाते हैं । गरीब आदमी या औरत को देखकर नहीं जागते हैं ।
जबकि समानता शारीरिक संरचना से ऊपर है । एक नज़र में स्त्री या लड़की को देखकर आमतौर पर एक पुरुष उसके अंगों की सुन्दरता पर आकर्षित हो कर करते हैं । जबकि उसकी चाहतों,, इरादों, रूचि पर ध्यान ही नहीं देते हैं । अपने ख्यालों को ही थोपने की कोशिश करते हैं ।
अंत में इतना ही कह सकते हैं,, यदि दिल में एक दूसरे का सम्मान है तो न कानून की जरूरत है और न ही जागरूकता की ।ऐसी बातें फ़ालतू हो जाती हैं । ।!!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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