तार्किक चिंतन का अर्थ----
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तर्क करने के गुण बेहतर संवाद की शैली है । जब आपसी बातचीत सुखद माहौल में हो । तो निश्चित है उत्तम दृष्टिकोण की प्राप्ति होगी । एक मंथन होगा जो दूध से दही, खट्टा, और घी का उत्पादन करेगा । जिससे आपको पास उपभोग करने के लिए कई विकल्प मिल जाएंगे । जहां रसास्वादन के लिए बेहतर चुनाव कर सकते हैं । जीवन सरल होता जाएगा ।
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जैसे दूध से अदृश्य पदार्थ की प्राप्ति होती है । वैसे तार्किक चर्चों से अदृश्य ज्ञान का भान होता है । जिससे किसी समस्या के हल तक जाया जा सकता है ।
खैर ऐसी चर्चा बहुत कम देखने को मिलती है । लोग अक्सर स्वयं को स्थापित करने के लिए तार्किक चर्चा करते हैं । अपने अहंकार और राजनीतिक समझ से विचारों को थोपने का प्रयास किया जाता है । आज के जमाने में जहां हर आदमी स्वयं को जानकर ही मानता है । वो भला कैसे किसी की बातों को विनम्रतापूर्वक ग्रहण करेंगे । या तो बहलाएंगे या परित्याग करेंगे । अपने अहंकार में उदासीनता लाकर । जो उसकी समझदारी का गुण हो सकता है । स्वघोषित ।
ऐसे लोगों के सामने तार्किक चर्चाएं व्यर्थ है ।
ताज्जुब होगा तुम्हें
जिसे तुम विचार मानते हो
वो केवल एजेंडा है
वर्ना बुराई किसमें नहीं है
बताया तुम्हें केवल
तुम्हारी
तोड़ने के लिए
जबकि तुम्हें लगा
ये विचार है
जोड़ने के लिए !!!!
तुम्हें लगा नहीं
तुम कब छोटे हो गए
कब उसने खुद को बड़ा बनाया दिया
उसके विचार में एजेंडा था
इसलिए करीब आया था
तुम्हें बदलने के लिए !!!
उनका विचार तार्किक था
मगर एक पहलू था
दूसरा छुपाया
मुझे नहीं बताया
मैंने देखा
जो दिखाया
बहुत बेवकूफ था मैं
उसकी बातों में आया
सियासी बुद्धिजीवियों के !!!!
एक साहित्यकार भी
वहीं देख पाया
जो चलन में था
खबरों का हेडलाइंस में
अटका हुआ
जीवन को भूख, गरीबी से जोड़कर
जिंदगी भर लिखता रहा
वामपंथियों की तरह
असंतोष !!!!
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-राजकपूर राजपूत
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