sorry-is-me-poem-love-kiखेद है मुझे - कविता प्रेम की

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 खेद है मुझे

तेरे दायरे तक

नहीं आ सका

चाहता तो

गले लगा सकता था

जी भर के

मेरे अश्रु की अंतिम बूंद तक

और सभी ग्लानि

बह जाता

तेरी बाहों में

लेकिन

मेरा हाथ नहीं बढ़ पाया

तेरी ओर

रूक गया

कुछ सोच कर

जो मेरा अहम नहीं था

वहम नहीं था

जो बार - बार कहता था

अभी देर है

रिश्तों को

घुलने में

विश्वास अधूरा है

पूर्ण होने में !!!!!


अभी फूल खिला नहीं है

कोई भौंरा मिला नहीं है

ऐसे में बीज कहां से आएगा

प्यार ही मिला नहीं है !!!

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विश्वास की कमी

शंका, डर पैदा करते हैं

इसलिए आजकल

एक दूसरे से डरा करते हैं

जिस निगाह से वो देखें

उसी निगाहों से देखा करते हैं

वो समझता आजकल का चलन

जैसे समझता हूं

इसी विश्वास में जीया करते हैं !!!

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