मंजिल कहां थी, तू जहां थी -कविता

my-floor-there-was-thou-where-the-poem

 मंजिल कहां थी

तू जहां थी
तेरी अनुपस्थिति में
याद बहुत थी !!!


बसता था मन
उन्हीं यादों में
चाहत बहुत थी
मिलें बहुत
मगर खालीपन
जहां तू नहीं थी
लम्बे इंतजार में बैठा हूं
कभी रोता हूं
कभी हंसता हूं
मेरी उम्मीद यही थी
तू मिल जाएगी एक दिन
मेरी प्यास यही थी
मेरी आस यही थी  !!!!

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मैं अपने खालीपन को
अपने अस्तित्व को
उस रिक्तता के पीछे
छुपी हुई
ऊर्जा
जो रिक्तता के बाद भी
सम्पूर्णता के साथ
स्थिरता और निश्चितता लिए
सबको देख रहा है
उसको अपने भीतर देख रहा है
इस तरह अपने खालीपन को
भर रहा हूं
मैं जीवन जी रहा हूं !!!!

तुम यदि
प्रेम में जीना नहीं चाहते
तो छोड़ देना चाहिए
किसी का साथ
उसका हाथ
जिसको छोड़ना है
तुम्हें आखिर एक दिन !!!!


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