Secular-No-Have Poem.
सेक्युलर वे नहीं है
जो पसंद के हिसाब से स्वीकार करें
जो पसंद न हो उससे नफ़रत करें
पसंद हो तो प्यार करें
पसंद/नापसंद व्यक्तिगत मसला है
जिसे किसी पर थोपने की जरूरत नहीं है
केवल तुम ही सही हो ज़रूरी तो नहीं है
अपनी बातों को सिद्ध करने की कोशिश हो
तो देखना बुद्धिजीवी के अंदर मुर्खता तो नहीं है
Secular-No-Have Poem.
नफरती सोच आखिर उजागर होगा
कई झूठ उसने तर्कों से ढका होगा
अपनी गलतियों को छुपाने के लिए
दूसरों पर दोष लगाया होगा
अपने विरोधीयों को हराने के लिए
उसकी कमजोरियों का मज़ाक उड़ाया होगा
सेक्युलर वे नहीं है
बात होगी उसके एजेंडे की
मुलाकात होगी उसके गेंग की
जहां से रची जाएगी साजिश देश के विरुद्ध
अपनाएंगे तकरीरें और बहस की
सेकुलर वे नहीं
जो दोष ढूंढते हैं
नफरतों के आधार पर
अपने प्रेम के आधार पर !!!
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ढूंढे तो केवल
सत्य के आधार पर
वर्ना उससे बुरा कोई नहीं है
इस दुनिया में
हालांकि खुद को
वैज्ञानिक मानते हैं !!!
जिन्हें काटना है
काट ही लेगा
जब विश्वास में लेगा
जेब, पैसा और गला
तुम्हें सावधान रहना चाहिए
ऐसे लोगों से !!!!
गला काटना जगजाहिर था
सियासत में माहिर था
लोगों फिर भी सहारा दें रहे हैं
गला काटने वालों की गहरी साज़िश थी !!!
अभी सेक्युलर होना कहां सीखा है बन्धु
तर्क में फर्क करना सीखा है बन्धु
सब जगजाहिर है उसकी असली सच्चाई
दोगलेपन में माहिर हैं बन्धु !!!!
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