जाहिल होने में goth-to-be-late-not-be-poem.

 goth-to-be-late-not-be-poem-  तर्कों को पढ़ें लिखें लोगों की पहचान मानी जाती है । जो जितने तर्कों से अपनी बात रखते हैं । उसे बुद्धिजीवी समझें जाते हैं । जो उपयोगी और महत्वपूर्ण बातों को स्थापित करने का प्रयास करते हैं । लेकिन हर तर्क बेहतर हो जरूरी नहीं है । नफरतों से भी कई तर्क मिल जाते हैं । अधिकारों के प्रति जागरूक हो तो कर्तव्यों के विरुद्ध तर्क मिल जाते हैं । इसी तरह से सच के विपरित होने के लिए असत्य । बेहतर तर्क वहीं है जो जीवन को बेहतर बनाएं । 

goth-to-be-late-not-be-poem.

 जाहिल होने में 

वक्त नहीं लगता है
कुछ भी कह दो 
बिना समझे
अभिव्यक्ति के नाम पर 
जवाब देना कठिन नहीं है
किसी को, 
किसी सवाल पे
नफ़रत और प्यार
तुम्हारी पसंद है
जिसपे एक बार
इनका रंग चढ़ जाता है
(चाहे अच्छी हो या बुरा)
उसकी बुद्धि को
कई तर्क
आसानी से मिल जाते हैं
बात है इन दोनों से
ऊपर न्याय की है
जो उदारता, विनम्रता
बेहतर समझ, सहनशीलता
सच की स्वीकारोक्ति से मिलती है
जो कहीं भी हो सकता है
और कोई बिरला ही हो सकता है
जो नफ़रत और प्यार से
ऊपर बातें करें 
न्याय की !!

जाहिल -poem


तर्क ही देना है तो
नफरतों से भी लिया जा सकता है
जो घृणा से उपजी हो
बस सामने वाले की बातों को काटना हो
तर्क है  
ऐसे तर्क 
चालाकी से उपजी होती है !!!
 
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