उदारता और कठोरता generosity-and-harshness-articl-in-hindi

 जब उदारता की जगह कठोरता की बहुलता हो ।generosity-and-harshness-articl-in-hindi तो आदमी निष्ठुर हो जाता है और उदारता की बहुलता हो तो इंसान का टिकाऊपन कमजोर हो जाता है । हर कोई झुकाता है ।  अत्यधिक कठोरता जीवन को नीरस बना देता है । अपने ही ख्यालों और विचारों को प्रमुखता देने से बाहरी विचार और नयापन रूक जाता है । जिससे आदमी मुर्ख की श्रेणी में गिने जाते हैं ।

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बेहतर जीवन के लिए जरूरी है । समयानुसार दोनों ही गुणों का पालन हो । 
हर सिक्के के दो पहलू हैं । जानना जरूरी है । समझना जरूरी है । जिसका महत्व समयानुसार और दुरगामी ज्यादा है । उसे अपनाना जरूरी है । 
जो उचित फैसला नहीं कर पाते हैं । वो जरूर आगे जाकर पछताते हैं । 
हर कार्य किसी न किसी समस्या का समाधान है । हर कार्य सरलता से होगा यदि किसी कार्य के प्रति हमारी समझ विकसित हो ।
समझ विकसित तभी होता है जब हम विनम्र हैं । विनम्रता ज्ञान का द्वार है । जिसने खुला करके रखें हुए हैं । सहज ही प्रवेश कर जाती हैं । ग्रहणशीलता उसका स्वागत करती है । जो लोग व्यवस्था को अपनी कहती हैं । वह मुर्ख और अहंकारी हैं । जो दोगलापन और चालाकियों के भरोसे कहते हैं । ऐसे लोग अपने एजेंडे पर सेट होते हैं । चाहे कुछ भी करें कुछ समझ से परे । सत्य को मुर्खता से थकाते हैं । 

मरने के बाद तारीफ होगी
जिंदगी भर तोहमतें होगी
मत कर उम्मीद किसी से
कर वहीं जिससे मोहब्बत होगी !!!!
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