मुझे दुनिया से शिकायत नहीं

 मुझे दुनिया से शिकायत नहीं

ऐसा नहीं कि मेरी हैसियत नहीं

मैं जानता हूं जमाने का चलन
ऐरे-गैरों से मुझे मोहब्बत नहीं

दिखावे की दुनिया में जीते हैं
आडंबरों का जीवन है, औकात नहीं

हम जब भी मिले उससे उदास मिले
उसे मुझसे या मुझे उससे मोहब्बत नहीं

अपनी चाहतों का बोझ उठाए हुए
अब तो किसी को भी फूर्सत नहीं

चलो ! चलते हैं "राज" अपनी दुनिया में
कब के बिछड़े हैं खुद से मुलाकात नहीं

मुझे दुनिया से शिकायत नहीं



Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ