love-and-hate-hindi-in आदमी खुद के भीतर…
उपस्थित प्यार या घृणा से प्यार करता है । जिससे प्यार या घृणा का अहसास होगा । जो उसका खुद का ही अपना अहसास है । किसी दूसरे का अहसास हमारे किसी काम का नहीं होता है । जो यह मानते हैं कि किसी वस्तु से उसे प्यार है तो उसके प्रति उसका अपना लगाव है । जो भिन्न लोगों में भिन्न-भिन्न प्रगट होते हैं । किसी को अच्छा तो किसी को बुरा । जिसके मायने हैं कि वस्तु में प्यार नहीं है । यदि वस्तु में प्यार होता तो सबको समान अहसास होता । जो नहीं हो पाता है ।
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जबकि लोगों के भीतर है,,,
,,सबका प्रेम । जो यह नहीं मानते हैं वो मुर्ख है । वो कहते हैं न कि प्यार हुआ गधी से परी क्या चीज़ है ? ऐसे में दुनिया कुछ भी कहें । कोई मायने नहीं है ।
जो किसी दूसरे के अहसास को सत्य मानते हैं । वो कुछ भी नहीं मानते हैं । अज्ञानता है । जब तक उसे स्वयं अहसास न हो ।
किसी चीज या फिर वस्तु ,,मन का स्पर्श है । मानसिक रूप से । जिससे अनुभूति होती है । अच्छा/बुरा ,,यही भाव किसी के लिए खास होगा । अहमियत होगी । जिससे हमें बुरा महसूस होता है । उससे मन हमारा बहुत जल्दी दूरी बनाते हैं । जबकि जिससे सुखद महसूस होता है । उससे लगाव महसूस होता है । बिना अहसास के सब बेकार है ,, इस दुनिया में । अपने अंदर के भावों की भिन्नता की वजह से हम सभी एक दूसरे से भिन्न महसूस होते हैं । अलग-अलग ।
बेहतर होगा,,बढाइए अपना दृष्टकोण व्यापक , हर चीज खास होगा ।हर पल तुम्हारे पास होगा । क्योंकि जहां तक हमारी दृष्टि जाएगी, हमारी समझ की बढ़ोत्तरी होगी !!!!
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