present-to-who-distressed-are
जो वर्तमान से खिन्न है
हमारे बीच रहकर भिन्न है
उसकी चाहत कहीं और है
इसलिए वर्तमान काम निम्न है
जो भूल जाता है प्यार यहां
दुनिया की हर बातों से खिन्न है
नीरस है उसका सारा जीवन
वो खुद ही खुद से छिन्न है
जिसके हृदय में प्रेम भरा है
एक दूजे से सदा अभिन्न हैं
रहो प्रेम सदा तुम भरा हुआ
इसके बिना जीवन तेरा छिन्न है !!!
present-to-who-distressed-are
अपने काम से जो असंतुष्ट हैं
किसी और काम से संतुष्ट हैं
मन नहीं लगता कोई बीमारी नहीं है
करता कुछ और है चाहता कुछ और है
इसलिए असंतुष्ट हैं
उसे चला जाना चाहिए चाहत की ओर
उसे कहां खुशी मिलेगी जो होता हर असंतुष्ट हैं !!!
वर्तमान से जो खिन्न है
अपनी कोशिश से भिन्न है
उसे मिला नहीं वो सब
जो चाहता था दिन है
दोष देते हैं अपने भाग्य को
मगर कर्म उसके भिन्न है
मरते दम तक लड़ें जो कोई
कर्म -भाग्य न भिन्न है !!!
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