आलोचना हर चीज़ की होनी चाहिए ।criticism-of-discrimination in hindi. अच्छी/बुरी बातों की । बस शर्त है उस पर स्वयं का विचार को शामिल नहीं करना चाहिए । स्वयं के नजरिए से देखने लगते हैं । तब न्याय नहीं कर पाते हैं । उन आलोचकों में स्वयं के विचार शामिल रखने से किसी चीज, वस्तु, व्यक्ति की प्रकृति और सुन्दरता को खो देते हैं । जैसा कि आजकल के लोग करते हैं । अपनी चाहत और नफ़रत अनुसार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है ।
criticism-of-discrimination in hindi.
जब सुधार की भावना से न की जाए तो समझ लेना नफ़रत की जड़ बहुत गहरी है ।
ऐसे में जब भी कोई मुंह खोलेगा। नकारात्मक भाव रहेगा । कूट - कूटकर । थकाने के लिए । ताकि मनोबल गिर जाय । जिससे सामने वाले के भीतर हीनता के भाव आ जाए और फिर कभी वो उसके सामने खड़ा न हो जाए । ऐसा अपने विरोधियों के लिए करते हैं । जिसमें किसी विचार, वस्तु से घृणा होती है ।
आलोचना -
जब बुरी भावना से की जाती है तो ध्यान रखा जाता है कि आलोचना उसके हृदय को भेदे । ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं । ताकि ऐसी चोट लगे जिसका जवाब न दे सकें । वीभत्स रूप में ।
आलोचना -तर्कों के सहारे
जहां तर्कों का सहारा लिया जाता है । जिसके लिए जरूरी है कि विभिन्न विषयों में पकड़ मजबूत हो । जिससे अपनी बातों को आसानी से कह सकें और सामने वालों की बातों को काट सकें । लोग समझे कि आलोचक विद्वान है । जानकर है या फिर समझदार है ।
निंदा -एक आलोचना
सबसे ज्यादा वे लोग करते हैं जो खुद को बेहतर मानते हैं । जिनकी सियासत की शैली होती है । वो उसको फायदे के रूप में उपयोग करते हैं । अपनी गलतियों को छुपाने के लिए । अक्सर दूसरों की बुराई काटते हैं । जिसे हर किसी के द्वारा देखा जा सकता है । चाहे धर्म के प्रचारक हो या फिर सियासतदान हो । या फिर कोई दोस्त । लकीर काटकर आगे बढ़ना बहुत ही कारगर फार्मूला है । खुद को बेहतर करने की जरूरत नहीं है । दूसरों की बुराई उजागर करते जाओ । जैसे दुनिया में बेहतर उससे कोई न हो !!!!!
समूहों का निर्माण
आलोचक अपने समूह में ज्यादा उग्र हो आलोचना करते हैं । क्योंकि वो जानता है कि उनका समर्थन मिलेगा । जिसके बल पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर दिया जाता है । कभी पकड़े गए तो उनके समर्थक अंधों की भांति स्वयं सामने आ जाते हैं । ऐसा समूह सोशल मीडिया पर ज्यादा बनाया जाता है ।
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- राजकपूर राजपूत
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