seek-on-ghazal
(१)
तुझे तलाश करूं
और तुझे न पाऊं
मेरी आंखें रोती है
एक अधूरेपन को
मेरी जिंदगी ढोती है
तुम आओ कभी सामने तो
मेरी प्यास उभर आती है
(२)
seek-on-ghazal
मैं दिल की बात कह नहीं पाया
मैं कभी जी भर रो नहीं पाया
उसके सामने मेरे शब्द टूट जाता है
जिसे कभी मैं जोड़ नहीं पाया
हर शख्स खुद में मशगूल हैं
कोई मेरी नजरें में ठहर नहीं पाया
जिसे मैं समझता था अपना
वो कभी मुझे समझ नहीं पाया
दिल के अरमान दिल में रह गया
कभी मेरी आंखों से बह नहीं पाया !!!
तुम भी इस तरह
दो हजार नोट जिस तरह
बाजार से गायब हो गई
तू मेरी जिंदगी से जिस तरह
माना क़ीमत बहुत थी तुम्हारी
एक जेब में तू दिल में जिस तरह
सुकून का लम्हा भी आएगा
मैंने ख्वाब ही बुना है इस तरह !!!
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-राजकपूर राजपूत''राज''
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