ईश्वर पर चिंतन god-reflection-article-hindi
एक ऐसा विस्तार जो हर जगह व्याप्त है । जिसकी उपस्थिति की वजह से ही सम्पूर्ण सृष्टि गतिमान है । एक चेतन तत्व जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि समाहित है । चाहे अंदर हो या बाहर । चाहे आदि, मध्य या फिर अंत हो । जिसकी उपस्थिति में क्रियाशीलता मिलती है । हर वस्तुओं को । जड़ और चेतन को । जिसने एक नियम बनाकर सबको बांध रखा है । जिसकी प्रकृति में रहकर ही हम सुख दुःख का रसास्वादन करते हैं । जिसकी प्रकृति ही अनंत है । केवल मानव जाति ही है जिसे समझ सकते हैं या पार पा सकते हैं ।
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हालाँकि मनुष्य अपनी प्रकृति में उलझकर अपने अपने तर्क देते हैं । कोई मानते हैं कोई नहीं ।
ध्यान रहे किसी के मानने न मानने से उस ईश्वर को फ़र्क नहीं पड़ता है । कोई उस ईश्वर पर अहसान नहीं करता है । चाहे कोई पूजे या फिर उसके प्रतीकों को तोड़े । ये उस इंसान की प्रकृति है । उस ईश्वर की कृपा है । जिसने इंसानों को प्रकृति दी है । जिसकी वजह से ऐसी सोच का निर्माण किया है ।
जो मानते हैं वह इस संतुष्टि के भाव में जीते हैं कि मेरा सहारा है । लेकिन जो नहीं मानते हैं वे अक्सर इस खिन्नता में जीते हैं कि दुनिया बेवजह है । इसी आधार पर अपने अपने भावों का निर्माण करते हैं । और ईश्वर इन दोनों ही प्रकृति में जीने वाले को देखते हैं । तटस्थ होकर ।
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