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स्वाभिमान न डिगने पाए
आदमी अब गिरने न पाए
सम्भल कर चला करों
दुनिया गिराने न पाए
लोग गिर कर भी मुस्कुराते हैं
ऐसे लोगों से न डरने पाए !!!
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स्वाभिमान न डिगने पाए
तेरा सम्मान न बिखरने पाए
हालात हो चाहे जो भी मगर
तेरा हौसला न डिगने पाए
मंजिल अभी दूर बहुत है
कहीं तेरे पांव न दुखने पाए
लक्ष्य बनाकर कोशिश कर
तेरा निशाना न चुकने पाए
कौन समझेगा भला दर्द यहॉं
ध्यान रहे तेरे सपने न टूटने पाए
रख दे क़दम ज़मीं पे पहले तू
अंगद का पांव न उठने पाए
चलो चलते हैं जहॉं मंजिल हो
दिल के अरमान न सूखने पाए !!!
छोड़ना पड़ेगा तुम्हें
इस ज़माने में
अपना स्वाभिमान
लोग अकडपन मानते हैं
जिससे नफ़रत करते हैं
अव्यवहारिक समझ कर
झूकना और मतलब निकाल लेना
लोग उच्च कोटि का विद्वान समझते हैं !!!!
आजकल
खुद्दारी दिखाने से अब कुछ नहीं मिलता
चापलूसी करने से बहुत कुछ मिलता है
हां, ऐसी बातें करने से विरोध हो जाता है
दबे पांव अपनाने से फायदा मिलता है !!!
स्वाभिमान डिगने न पाए
आदमी बिकने न पाए !!!
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