क्षमा,,,आज की स्थिति में

  क्षमा करना इंसानियत की निशानी है ।

 क्षमा करने वाले       सभ्य और शिक्षित होते हैं । हृदय के उदार होते हैं । 

   क्षमा करने से मन में सुकून और शांति का अहसास होता है । जिस परिस्थिति से गलती हुई है । जिसके कारण मन में व्यग्रता आई थी । समन होता है ।शांति का अनुभव होता है । 

कहते हैं क्षमा करना वीरता की निशानी है । क्योंकि क्षमा करने की क्षमता हर इंसानों में नहीं होती है । जो दुःख किसी की वजह से मिले हैं । उससे बदला लेने का मन होता है । इस बात को भूलकर क्षमा करना हर इंसान के बस की बात नहीं होती है । अपनी तकलीफों को भूलकर उस इंसान का भी आदर करना पड़ता है जिसने हमें तकलीफ दी है । सहज प्रतिक्रिया स्वरूप हमारे हृदय में सामने वाले के प्रति तत्क्षण गुस्सा का प्रगट हो जाते हैं । जिसे काबू में करना अत्यंत कठिन कार्य है । 

क्षमा प्राप्त करने वाले व्यक्ति भी शांति और निश्चितता का अहसास करते हैं । उसकी भी व्याकुलता शांत हो जाती है ।जब दिल के खटास मिटने का अहसास होता है और रिश्तों में पूर्व जैसे ही अहसास होता है । 

उपरोक्त अहसास क्षमा करने वाले और क्षमा पाने वाले की सोच पर निर्भर करता है । हृदय की उदारता व सम्मान के साथ स्वीकार करने से हृदय में आनंद आते हैैं ।जिस नफ़रत या भूल की वजह से गलती हुई है । हृदय से पछतावा होना चाहिए । यदि ऐसा होता है तो पुनरावृत्ति नहीं होगी । 

यदि मन में खटास छुपा के क्षमा मांगना या देना बाहरी दुनिया के सामने सभ्यता का प्रदर्शन है । एक प्रकार से उदासीनता है ।जो वक्त के साथ नफ़रत और घृणा के रूप में पुनः प्रगट हो जाएंगे । 

जिसे आजकल के लोग आसानी से निभाते हैं । क्षमा पाना और देना दोनों ही स्थितियों में असहनीय होते हैं । भूलते कोई नहीं है । एक घाव की तरह । मन में कशक पालते हैं । एक अवसर की तलाश के रूप में । जो वक्त आने पर जख्म की याद दिलाते हैं । ऐसी स्थिति में सावधान रहिए । क्षमा किसे देना है या किसे नहीं ज़रूर सोचिए !!!! 

क्षमा आज की स्थिति में

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