नैतिकता से बड़ी सफलता Poem - success and ethics

Poem - success and ethics 

 सफलता,, नैतिकता से बड़ी है

इसलिए सब कोशिश कर रहे हैं

सफल होने के लिए

जैसे-तैसे , कुछ पैसों से 

चाय-पानी के बहाने से

रिश्वत के बल बूते से

लेन देन किया जाय

सफल हुआ जाय

भले ही नैतिकता का पतन हो जाय

परवाह कौन करता है

सफल होने के बाद

सब सम्मान करते हैं

और भूल जाते हैं

उसके सफल होने के तरीके

क्योंकि वो भी लालायित है

ऐसी सफलता पाने के लिए !!!

Poem - success and ethics 

धन चरित्र से बड़ा है

वर्ना लोग इतने नहीं गिरते

धन अच्छी बातों से बड़ा नहीं है

वर्ना लोग इतने उसके पीछे नहीं भागते

धन से सबकुछ खरीदने की बातें होती है

चरित्र से ले कर पद तक !!!


नैतिकता

रोज मांस खाने वाले

और हर हाल में

मांस खाने वाले

की नैतिकता में जायज़ है

मांस खाना

चाहे त्यौहार हो

या अल्लाह की इबादत 

यदि इसके चलते नहीं खाते

मांस

अंतर कर रहे हो पर्व का

बहाना बना कर

तुम्हें नैतिकता है

ईश्वर या अल्लाह के सामने भी खाओ

ऐसे में तुम्हें

छुट देगा

ईश्वर अल्लाह

मान जाएंगे

और नैतिकता बना दी जाएगी

मांस खाना

अंतर करना गुनाह हो जाएगा 

ईश्वर अल्लाह के लिए !!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 चाय की चुस्की 

मचलने का समय नहीं 


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ