"राम" सम्पूर्ण सृष्टि के भीतर समाहित है ।Article- Words which is complete जिसके उच्चारण मात्र से शांति का अहसास होता है ।एक आश्रय के रूप में । जो पूर्ण है ।हर थकावट को मिटाने के लिए । सिर्फ "राम" हृदय से कहने मात्र से आनंद की अनुभूति होती है । एक रक्षक के रूप में हमारे आस-पास सदैव उपस्थित रहते हैं । सारे जगत में अपनापन के साथ जुड़े रहते हैं ।जहॉं भी जाए । बस हृदय में प्रेम और समर्पण होना चाहिए ।
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"मॉं"
कोई चाहे या न चाहे । कोई प्यार करें या न करें । कोई दुष्ट हो या सदाचारी । लेकिन जब भी कष्ट आते हैं । जब मुसीबत में फंस जाते हैं ।तब मुॅंह से अनायास ही शब्द निकल जाते हैं -" मॉं "!
जिसके बोलते ही सारे कष्टों बिखरने लगते हैं । रिश्तों में भगवान समान । हर कष्टों का निवारण है-" मॉं " । जिसे सहारा के रूप में हर व्यक्ति पुकारते हैं ।
"ओम"
ऐसी ध्वनि जो सृष्टि के भीतर और हृदय के अंतःस्थल में स्थित ऊर्जा को अहसास कराते हैं । जिसके उच्चारण मात्र से पूर्णता की प्राप्ति होती है । लोग अक्सर खाना खाने के बाद इस शब्द या ध्वनि का उच्चारण करते हैं । जो कि पूर्ण संतुष्टि का भास होने पर किया जाता है । हॉं, ये अलग बात है कि वह खाने की संतुष्टि है मगर उसकी मनः स्मृति में ईश्वर की स्तुति है । भोजन की प्राप्ति के लिए ।
कुछ लोग ध्यान के माध्यम से इस ध्वनि का उच्चारण करके स्वयं को बाहृय और भीतर से उस ऊर्जा की उपस्थिति की अनुभूति करते हैं । जो सम्पूर्ण सृष्टि के केन्द्र में उपस्थित है । उपरोक्त ध्वनि या शब्द समय के साथ-साथ लोग भूलने लगे हैं । फिर भी हर हिन्दू अपने तकलीफों में अनायास ही बोल पड़ते हैं । जो शब्द या ध्वनि की व्यापकता और महत्ता को प्रर्दशित करते हैं । इन्हें भी पढ़ें 👉 जीवन की आवश्यकता बताती है ।
---राजकपूर राजपूत''राज''
2 टिप्पणियाँ
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका 🙏
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