धर्म का मतलब-Religion Thoughts. धारण करना । उन क्रियाकलापों को जो आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध स्थापित कर सकें । खुद के अस्तित्व का परिचय करा दें । उस बाह्य चेतन तत्त्व और और शरीर के भीतर उपस्थित चेतन तत्व से । जिससे हम और सृष्टि संचालित है । अनुभूति करा दें । सम्पूर्ण जगत में एकत्व का दर्शन हो । कोई भिन्न प्रतीत न हो । वहीं धर्म श्रेष्ठ है ।
Religion Thoughts
धर्म और पथ इस धरती पर कई तरह के हैं । जिसके अपने सिद्धांत है । जिसमें चलकर ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है । जो धर्म चिंतन परंपरा को शामिल किए हुए हैं । वहीं धर्म सबसे उत्तम है तथा जो धर्म अपने विचारों को श्रेष्ठ मानते हैं । वहीं कट्टर हैं । जिसमें मानव जीवन के लिए ज्यादा विकल्प नहीं दें पाते हैं । सीमित विकल्प देकर जीने के लिए बाध्य करना है ।
रूढ़िवादी विचार
यदि धर्म में किसी विचार को मानने के लिए बाध्य किया जा तो वह संकुचित है । वहीं धर्म रूढ़िवादी है ।
जो धर्म में अपने विचारों को प्रचार करने के लिए राजनीति को शामिल कर लेते हैं । वह धर्म अत्यधिक घातक हो जाते हैं । जिसमें बहलाने, फुसलाने की रणनीति के साथ मासुम लोगों को गुमराह करने लगते हैं । जो दूसरे धर्म की कमजोरियों को बताकर घृणा के भाव भरते हैं । ऐसे धर्म का प्रचार ज्यादा स्तर हो तो जाता है लेकिन जीवन दर्शन नहीं होता है । दूसरे धर्म की लकीरें काटकर स्वयं को बड़ बनाते हैं ।
जबकि जो धर्म व्यापक में व्यापक जीवन दर्शन है । वह ऐसा नहीं कर पाते हैं । जिससे थकावट, और लोगों का झुकाव कम होने लगते हैं । क्योंकि स्वयं के दर्शन का प्रचार करते हैं। न कि दूसरे धर्म की बुराई ।
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