A Moment of Age Poem
कुछ उम्र का पल अक्सर याद आती है
हालांकि वो उम्र फिर नहीं आती है !!!
उम्र के साथ बहुत कुछ छूट जाता है
कल जो अपना है आज भ्रम हो जाता है
जिसे अपना समझ के चले थे साथ-साथ
वक्त के साथ-साथ हाथ छूट जाता है
हकीकत की बुनियाद ही ऐसा है
जो लोग अपने थे मतलब पे साथ छूट जाता है
A Moment of Age Poem
दूरी उसने भी कम न की मेरे दोस्त
चाहत कुछ इसलिए भाव छूट जाता है
आदमी क्या हैं मिट्टी के खिलौने कब तक सहें
भरोसा करते-करते आदमी टूट जाता है
रहे अपनी दुनिया में खुश मगर
अपनी दुनिया से साथ छूट जाता है !!!!
0 टिप्पणियाँ