गरीब आदमी -कविता

गरीब आदमी का
धूप में रहकर
मेहनत करना
एक-दो रुपये जोड़कर
बच्चों के लिए
कपडे़-खिलौनें लेना
और उसकी मुस्कान देख
ऐसा लगना,जैसे
भीषण गर्मी में
शीतल पानी का
मिल जाना
बहुत अच्छा लगता हैं

एक मजदुर  का जब
कपकपी ठंड़ में
ऊंगलियों का टेढा़ हो जाना
इसके बाद भी
उसका फावडा़ पकड़ के
मिट्टी को गूंथ देना
बुढे़ माँ-बाप के लिए
नये शाल-स्वेटर देना
और उसकी पथराई आंखों से
ढेरों दुआएं लेना
बहुत अच्छा लगता हैं

एक किसान का
उमस भरे दिनों में
बदन का काला हो जाना
नंगे पैरों से
कांटों भरे राहों में
मुस्कुराते हुए चलते जाना
मूसलाधार बारिशों को
अपने हथेलियों से रोक देना
और सारी दुनिया को खिलाना
बहुत अच्छा लगता हैं

एक साहसी जो
हर वो चुनौती को
जिसे लोग डरकर
छोड़ देते हैं
जिसे करो तो
दुनिया धक्का देती है
और उसका बेपरवाह होकर
चलते जाना
भयंकर तुफानों से टकराकर
अपनी कस्ती को
किनारे लगाना
बहुत अच्छा लगता हैं
---राजकपूर राजपूत




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