kuch logon ki chaalakiyan kavita hindi कुछ लोगों की चालाकियां छुपा नहीं है

 नैतिकता हर समय बदलती है ! kuch logon ki chaalakiyan kavita hindi बस लोग उसे अपने ढंग से परिभाषित करते हैं ! शोर इतने करते हैं की जायज लगने लगते हैं !  जो उसकी चालाकियां हैं ! चालाकियों को एक निश्चित सीमा तक छुपाया जा सकता है ! जो समय के अनुसार जाहिर हो जाते  हैं ! जिससे रिश्तें में दुरी और भय का अहसास होता है ! मगर चालाक लोग इसकी परवाह नहीं करते हैं ! निर्लजता के हद तक गुजर जाते हैं !   

kuch logon ki chaalakiyan kavita hindi

छुपा नहीं है वो
वो हमारे सामने है
साथ हैं
बस हम पहचानते नहीं हैं
इसलिए बुरा नहीं मानते हैं
जो चालाकियों से
रिश्ते बनाए हुए हैं
हमारे साथ !!!


गलतियों को
नैतिकता की अनुमति दे देना
आजकल होता है
प्यार और जंग में
सबकुछ जायज़ है
बढ़ावा है
अपराध का
जिसे सब अपना रहे हैं
अपने दैनिक जीवन में
नैतिकता की तरह
जैसे सभ्य हो गया है
जिसे कुछ लोग नेता मानते हैं
कुछ लोग धंधा है 
जो समाज का आचरण
बहुत गन्दा है 
इसे प्रगतिशील मत मानते हैं !!

चालाकियां 

उसने पैसा कमाकर दिखाया
और लोग तारीफ करने लगे
लेकिन पूछा नहीं
तुम्हारे पैसा कमाने के तरीके क्या हैं ??


सफलता और ईमानदारी
दोनों अलग चीजें हैं
सफलता के तरीके कुछ भी हो सकते हैं
लेकिन ईमानदारी के अपने तरीके
जिसमें सफलता की गारंटी नहीं है
जिसे लोग देख सकें !! 


आदमी जीना चाहता है
मगर दुनिया के तौर तरीके
उसे उलझा देता है
एक व्यवस्था
प्रभावशाली लोगों ने स्थापित की है
अपने तौर तरीकों से
जिसमें जीना 
सामान्य लोगों के लिए मुश्किल है  !!!!


बदलते समाज
या भ्रष्ट समाज
अचरज न हो
लोगों ने अनुमति दी है
हमारे बीच रहने के लिए  !!!


बोलने की आजादी

तुम्हें स्थापित कर सकता है
समाज में
सभ्य लोगों जैसे
बस तुम्हें
ढूंढना है
अपने जैसी भीड़
और आवाज उठानी है
जोर से
मोमबत्ती, बेनर और मीडिया लेकर
जो कभी सोचते नहीं है
उसकी कानों तक
तुम्हारी आवाज़ जानी चाहिए  !!!!


शिक्षित होते ही आजकल के लोग

स्वयं का मतलब में जीते हैं आजकल के लोग

नैतिकता, ईमानदारी, सच्चाई सब एक जगह

बात बनाकर मतलब निकालते हैं आजकल के लोग

नीची से नीची जाति के लोग भी

अपने से नीची जाति ढूंढ लेते हैं आजकल के लोग

उसने अभी सवाल बस उठाया है

मगर जवाब कहां देते हैं आजकल के लोग

चर्चा में आए तो जान गए

वर्ना बरसों से शोषण करते थे आजकल के लोग !!!


बोलने की आजादी क्या मिली

कर्तव्य कम और हक में ज्यादा बोल दिया !!!!

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kuch logon ki chaalakiyan kavita hindi


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