उदासी मेरे घर से जा
udashi mere Ghar ki
उदासी मेरे घर से जा
और बदले में हॅंसी दे जा
शाम तन्हाई में गुजर गई
लेकिन रात में ख्वाब दे जा
मेरी सुबह हो यूॅं भरी-भरी
चिड़ियों की चहचहाहट दे जा
ये चालाकियां ये सावधानियां अच्छी है
मगर इंसानियत बचा के जा
बदलें हैं ये वक्त जरूर मगर
प्यार की परिभाषा कुछ और न दें जा
हंसी के पल मिलते हैं कभी कभी
यूं रूठ के जिंदगी ग़म न दें जा
-राजकपूर राजपूत
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