प्रेम - एक सुन्दर अहसास Prem-ak-sundar-ahsas

Prem-ak-sundar-ahsas- प्रेम वो अहसास है जो कभी थकता नहीं है । कभी रूकता नहीं है । जब तक प्रेम का मिलन न हो जाए । प्रेम निरंतर गतिमान है । उस ओर जहां प्रेम है। प्रेम कभी ठहरता नहीं है । मिलन की राह में । हृदय में बसे निरंतर शक्ति का संचार करता है । ताकि प्रेम लड़ सकते अपने दुश्मनों से । प्रेमी आदमी कभी हताश, निराश नहीं होता है । पढ़िए इस कविता में प्रेम का सुन्दर अहसास👇👇 

Prem-ak-sundar-ahsas.


 नदी से कहा धारा ने

कहां तक जाना है

नदी ने कहा धारा से

जहां उछलना भटकना बंद होगा

वहीं ठहर जाना है

अभी मत सोचो रूक जाना है 

आगे आगे बढ़ते जाना है

जब मिल जाएगा अपना सहारा

उसी में मिल जाना है !!!


कहे अपने दिल की बात किस तरह


मैं भूला नहीं

तुम्हारी खुशबू

मुझे अहसास होता है

हर जगह

हर सांस में

जहां भी जाऊं

तेरी छवि रहती है

मेरी आंखों में

सहअस्तित्व का भान होता है

बाहर - भीतर

जैसे हम तुम एक हैं !!


जैसे तैसे जीते हैं लोग

प्रेम -यदि महसूस कर पाओ तो 


स्थिति/परिस्थिति

भिन्न हो सकती है

लेकिन हम एक हैं

मैं तुझे महसूस कर सकता हूं

तू मुझे

और एक दूसरे को

जितना हम महसूसते

पास होते हैं

हृदय के !!!


प्रेम - कितना शेष 


जितना शेष है

उतना क्लेश है

मिला बहुत कुछ

फिर भी लगता है

बहुत कुछ शेष है

ये जिंदगी की भागदौड़

छल रही है मुझे !!!!


उम्र की गिनती में

भले ही अनुमति न दें मुझे

लेकिन जिंदगी

मैं तुझसे वादा करता हूं

जीऊंगा भरपूर तुझे

 

मैं भूलूंगा नहीं तुझे

बेशक ! उम्र छोटी लगती है मुझे 

लेकिन मैं वादा करता हूं

तुझे शामिल करूंगा

बचपन के अल्हड़पन में

जवानी के फक्कडपन में

बुढ़ापे की समझ में

जीऊंगा ऐसे

हर पल उत्सव हो जैसे !!!


प्रेम में जीना चाहता हूं

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मैं उम्र की गिनती भूल जाना चाहता हूं

जिंदगी तुझे भरपूर जीना चाहता हूं 

कुछ शिकायत होगी, फिर भी तुझसे बात होगी

कभी भूल न पाऊं मैं तुझे ये मेरी मोहब्बत होगी 

जितनी दूरी होगी उतनी तड़प भी होगी

तन्हाई न हो कभी मुझे मेरी आंखों में तेरी छवि होगी

ख्यालों में तुम हो और तुझसे प्यार की बातें होगी

जब मेरा सफ़र आख़िरी हो तो तुम साथ हो

ऐसे सुकून भरें लम्हों में मर जाना चाहता हूं 

और मैं हर हाल में तेरा प्यार चाहता हूं

जिंदगी तुझे भरपूर जीना चाहता हूं

मैं उम्र की गिनती भूल जाना चाहता हूं !!!!

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प्रेम और समर्पण 

Prem-ak-sundar-ahsas





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