Srishti kaVistar or Shunyata सृष्टि का विस्तार और शून्यता

Srishti-ka-vistar-or-shunyata-सृष्टि किसी इंसान का प्रयास नहीं है । जिस पर इंसान इतरा सके । बल्कि सृष्टि में जो व्याप्त है या उपस्थित शक्तियां हैं  । उसकी खोज की जा रही है । सृष्टि का इतना विस्तार है कि मन की कल्पना थक जाती है । अनंत विस्तार में फैला जिसकी सीमा की पहचान नहीं है । इंसान केवल उनके दिए हुए शक्तियों का उपयोग कर सकता है । न कि सृष्टि का निर्माणकर्ता बन सकता है । कुछ भी बना लें । सृष्टि में उसका साइड इफेक्ट दिखाई ही देगा । सृष्टि के अपने नियम और व्यवस्था है । जिसका पालन संयमित होकर करना चाहिए । सृष्टि पर कविता हिन्दी में पढ़िए 👇👇 

Srishti kaVistar or Shunyata

शून्यता का अहसास 

 जिस दिन

खुद से बातें करना
बंद कर दोगे
शून्यता का अहसास
कर लोगे
एक रिक्तता
जहां कुछ नहीं है
न मैं न तुम
केवल शून्यता !!!

हमारा खालीपन 

हमारा खालीपन को
भर देती है
हमारी बातें
कभी तुझसे
कभी गैरों से
कभी खुद से 
मन ही मन
संवाद करना
और तलाशना अपना स्थान
कभी तेरी नज़रों में
कभी दुनिया की नजरों में 
कभी अपनी नज़रों में
इस तरह उलझे रहते हैं
अपने संसार में !!!

शून्यता का आभास


शून्यता के आभास में
मुझे उस शक्ति का अहसास होता है
जहां से जीवन की
फिर शुरूआत होगी
हलचल होगी
प्रगट होगी सृष्टि
अनायास ही !!! 

सृष्टि -आज जो जगह है 


आज जो जगह घेरे हो
कल खाली हो जाएगी 
पुनः शून्यता में समा जाएगी
जब तक उस खाली जगह में
कोई दूसरा न आ जाएं
जब तक तुम चले न जाओ
सृष्टि ऐसी ही चलती है !!!!


इन्हें भी पढिए प्रेम समर्पण और तुम 

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