निर्थकता और रिक्तता - कभी कभी यूं लगता है -Kabhi-kabhi-yun-lagta-hai.-
इस संसार की निर्थकता और रिक्तता के बीच । उस पर शक्ति का अहसास जब होता है । तब सारी दुनिया निर्थक लगता है । जीवन आज नहीं तो कल उस सत्ता के सम्मुख अपनी उपस्थिति देगी तब हमारे अभिनय का हिसाब किताब होगा ।
कविता हिन्दी में 👇👇
Kabhi-kabhi-yun-lagta-hai-
कभी - कभी यूं लगता है
कभी कभी यूं लगता है
ये धरती ये आसमान के
मिट जाने के बाद
एक रिक्तता बची रहेगी
जिसकी उपस्थित
सदा रहेगी
हमारे जाने के बाद
शून्यता और नीरवपन सा
हर जगह
भयावह दृश्य
जहां कुछ नहीं मिलेगा
एक शून्यता के सिवा
जहां से कभी भी
पुनः प्रकट होगी
एक नई सृष्टि
एक नए विकासक्रम में
पुनः !!
कभी कभी यूं लगता है
इंसान मर जाता है
खुद को पहचान नहीं पाता है
जिंदगी भर इक्ट्ठा करने में गुज़र जाता है
मगर दुनिया से खाली हाथ जाता है
किस बात का गुरूर है किस बात का घमंड है
आखिर एक दिन मिट्टी में मिल जाता है !!
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