ख़त khat-mai-likha-pyar

            khat-mai-likha-pyar- ख़त में लिखा गया प्यार-   प्यार है तो कहने की जरूरत नहीं है । और कहने की जरूरत है तो प्यार नहीं है । प्यार दिल की बातें सदा समझते हैं । बिन कहे । प्यार को पढ़ने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं है । बल्कि प्यार नजरों से समझे तो बेहतर है । बिना लाग लपेट के । दिल से जुड़े रहते हैं । 

      khat-mai-likha-pyar-

खत में लिखा गया प्यार 

उसने खत पढ़कर छुपा लिया
मगर इश्क़ दिल में रख लिया

कोई समझें ना दिल की बात
तन्हा हुए दिल और पढ़ लिया
सहेज कर रखे थे किताबों के बीच
जब याद आए तो पढ़ लिया 
मैंने कहा नहीं कभी दिल की बात
मेरी आंखों को सदा पढ़ लिया 
जमाने करते रहे शिकवा गैरों की
हमने उसके प्यार पढ़ लिया
एक सहारा ही था वो मेरा सदा
न बोलें तो भी जीने की वजह पढ़ लिया  !!!

ख़त 
आज जब खोला गया 
बरसों पहले का 
चिथड़े-चिथड़े थे 
मगर जोड़ा गया 
एक-एक कागज़ के टुकड़ों को 
आज भी वही अहसास था 
जैसे प्यार 
कागज़ के शब्दों से 
मुझे स्पर्श कर रहा था 
जैसे अभी-अभी हुआ 
मुझे प्रेम !!!! 

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